परवेज खान. शिवपुरी. जिला शिक्षा विभाग शिवपुरी की ओर से आयोजित पुस्तक मेले में दुकानदार नए सत्र की बुक की बिक्री कर रहे हैं. जिन्हें स्कूल प्रबंधन हर साल फिक्स करता है. पब्लिकेशन और स्कूल प्रबंधन की सांठगांठ इस साल भी सफल होती नजर आ रही है, क्योंकि अभिभावकों मूर्ख बनाने के लिए पब्लिकेशन और स्कूल प्रबंधन ने किताबों पर मूल्य बढ़ाकर उस पर 5% की छूट देकर गुमराह करने की पूरी कोशिश की है.

दुकानदारों की मानें तो किताबों के मूल्य को लेकर उनका कोई कंट्रोल नहीं है. लेकिन वह कॉपियों पर जरूर हर साल की तरह ही इस बार भी 20 से 25 % की छूट दे रहे हैं. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी समर सिंह हकीकत को जानते हुए भी जबरन ही अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश करते नजर आए. उनका कहना है कि कोई स्कूल प्रबधन अभिभावकों को कोर्स खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि अगर स्कूल का कोर्स एक या दो दुकान पर ही उपलब्ध कराया जाएगा तो ऐसे में अभिभावकों की तो मजबूरी हो ही जाती है कि उसे मनमाने मूल्य पर कोर्स खरीदना पड़ेगा.

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जिला शिक्षा अधिकारी के पास जब कोई जबाब न रह तो वह सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का राग अलापने लगे. हालांकि, वो बात अलग है कि शिक्षा विभाग के ही स्टाफ के अधिकतर बच्चे सरकारी स्कूल के बजाए निजी स्कूल में पड़ने जाते हैं. जिला शिक्षा विभाग के सहयोग से लगाए गए इस पुस्तक मेले में कोर्स खरीदने पर पक्के बिल को न देकर कच्चे बिल थमाकर जीएसटी की चोरी क्या विभाग के आदेश पर हो रही है? मेले में ही एनसीआरटी की किताबे दुकानदारों के पास उपलब्ध नहीं है.

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