कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। साहब! ये राशन तो जानवर भी नही खा सकते,मैं और मेरा परिवार इसे कैसे खाएगा?,ये दर्द लेकर एक बुजुर्ग कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचा। उसके हाथ में एक पॉलिथीन थी जिसके अंदर नाम के लिए सरकारी राशन था।हकीकत में उस सरकारी राशन में गेहूं के दाने को खोजना भी मुश्किल था।

राशन को देखकर उनके होश उड़ गए

कांपते हुए हाथ, पेट में दो जून की रोटी की आस! सरकार ने सरकारी राशन के लिये पात्र हितग्राही भी बना दिया। जब रोटी खाने की उम्मीद के लिए सरकारी राशन दुकान से गेहूं मिला, तो कंकड़ पत्थर और ढेर सारी धूल मिट्टी मिली। जी हां ये दर्द शहर के मुरार इलाके में रहने वाले बुजुर्ग बाबूलाल जाटव का है। जो पात्र राशन हितग्राही है, सरकार की ओर से गेहूं और चावल मिलता है। जिससे उनका गुजारा चलता है। लेकिन उन्हें जो राशन दिया गया उसे देखकर उनके होश उड़ गए।

बुद्ध प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार

अल्पना टॉकीज के पास संचालित होने वाली दुकान क्रमांक 271 बुद्ध प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार से बुजुर्ग बाबूलाल जाटव राशन लेते है,लेकिन उन्हें थोड़े से गेहूं के साथ ढेर सारे मिट्टी कंकड़ पत्थर थमा दिए गए,जिसके बाद बुजुर्ग बाबूलाल ग्वालियर कलेक्ट्रेट पहुंचे। उनके द्वारा खाद एवं आपूर्ति नियंत्रक अधिकारी विपिन श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारियों को दुकानदार की कालागुजरी दिखाई। जिसे देख अधिकारी भी हैरान रह गए,उनके द्वारा तत्काल जोनल फ़ूड अधिकारी को सरकारी राशन वितरण दुकान पर जांच के बाद कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

एक्शन लिया जाएगा

बुजुर्ग बाबूलाल का कहना है कि उन्हें जो राशन दिया गया है उसे जानवर भी नहीं खा सकते तो भला इंसान इसे कैसे खा सकता है। वहीं खाद एवं आपूर्ति नियंत्रक अधिकारी विपिन श्रीवास्तव का कहना है कि कई बार राशन वितरण के बाद आखिरी का गेहूं बच जाता है जिसमें कुछ कंकड़ मिट्टी होते हैं। दुकानदार ने वह राशन वितरित कर दिया है जबकि उसे इस तरह का राशन वितरण नहीं करना चाहिए था। यदि उसके द्वारा जानबूझकर खराब राशन बुजुर्ग को दिया है तो जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर आगे एक्शन लिया जाएगा।

बाबूलाल जाटव -शिकायतकर्ता हितग्राही

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