शहजाद खान, शाजापुर। मध्यप्रदेश में कोरोना का संक्रमण भयावह स्थिति में पहुंच गया है. कोरोना संक्रमण से रोज लोगों की जानें जा रही है. कोरोना संक्रमण ने जिले के सक्सेना परिवार पर मानों कहर ढा दिया है. परिवार के मुखिया सहित पत्नी और एकलौते बेटे कोरोना से संक्रमित हो गए. सबसे पहले एकलौते बेटे ने दम तोड़ दिया. उसके बाद परिवार के मुखिया पिता को कोरोना ने लील लिया. ऐसा वज्रपात किसी के साथ ना हो. इस विषम परिस्थिति में घर की बेटी ने पहले भाई और कुछ दिन बाद पिता की चिता को मुखाग्नि दी. इस घटना से सक्सेना परिवार पर मानों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. शुक्र है कि घर की लक्ष्मी (मां) कोरोना की जंग जीत गई है. अब वह स्वस्थ होकर घर लौट आई है.

भाई शुभम ने 29 अप्रैल की सुबह दम तोड दिया
जानकारी के अनुसार सारंगपुर निवासी 61 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक पिता अवधेश सक्सेना, मां करुणा और 32 वर्षीय भाई शुभम को कोरोना संक्रमण होने पर उनकी 25 वर्षीय बेटी तन्वी ने शाजापुर जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था. अकेले के दम पर अपने पिता, माता और भाई का शाजापुर जिला अस्पताल में तन्वी इलाज करा पाती उसके पहले ही भाई शुभम ने 29 अप्रैल की सुबह दम तोड दिया.

भाई की अस्थियां भी तन्वी ने शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से इकट्ठा की
माता-पिता को अस्पताल में छोड़ तन्वी भाई के शव को लेकर शहर के शांति वन पहुंची. वहीं बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद मां कोरोना वार्ड से उठकर नंगे पैर शांति वन पहुंच गई. मां बेटी ने खुद लकड़ी कंडे की गाड़ी धकाई और तन्वी ने मुखाग्नि देकर अपने भाई का अंतिम संस्कार किया. भाई की अस्थियां भी तन्वी ने शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से इकठा की.

3 मई की सुबह पिता अवधेश सक्सेना ने शाजापुर के जिला अस्पताल में दम तोड दिया
विपरीत हालात और कम उम्र होने के बावजूद तन्वी अपने माता-पिता को दिलासा देती रही और अस्पताल में सेवा करती रही. बीते चार दिनों में मां करुणा देवी तो कोरोना से ठीक हो गई. लेकिन पिता कोरोना का शिकार हो गए. 3 मई की सुबह पिता अवधेश सक्सेना ने शाजापुर के जिला अस्पताल में दम तोड दिया. इकलौते भाई की मौत के बाद पिता की मौत किसी कहर से कम नहीं थी. अपनी मां को दिलासा देती तन्वी 5 दिनों के अंदर दूसरी बार शांति वन पहुंची, लेकिन इस बार अपने पिता को लेकर. अपनी चचेरी बहन चेतना सक्सेना के साथ तन्वी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी.

मदद के लिए आगे आए लोग
शांति वन में भी तन्वी के सामने संकट खड़ा था. लकडी, कन्डे लाकर पिता की चिता सजाने वाला भी कोई नहीं था. मुसीबत के ऐसे समय में पिता की मौत के बाद समाजसेवियों ने शांति वन पहुंच कर उनकी मदद की. कोरोना के कहर से सक्सेना परिवार टूट गया है. घर का मुखिया और इकलौते भाई के निधन से परिवार पर बड़ा वज्रपात हुआ है.