हेमंत शर्मा, इंदौर। कोरोना आपदा के इस भय़ावह दौर में जहां लोग ऑक्सीजन, दवाईयों और बेड की कमी से जूझ रहे हैं। इन मुश्किल हालात में जिम्मेदारों को संवेदनशील होने की बजाय उनकी औरल ज्यादा असंवेदनशीलता के मामले लगातार आ रहे हैं। ऐसी कई घटनाएं लगातार सामने आई है जो कि शर्मनाक है और अमानवीय भी है। ऐसे ही मामलों में राज्य मानवाधिकार आयोग ने बेहद ही गंभीरता से संज्ञान में लिया है और जिम्मेदारों को नोटिस देकर उनका प्रतिवेदन मांगा है। जिसमें कोरोना कर्फ्यू के दौरान अधिकारी द्वारा लोगों का जुलूस निकालकर लात मारना, कोरोना मरीजो के परिजनों के साथ डॉक्टरों की गुंडागर्दी मारपीट, कोरोना पीड़ितों के घर में ताले लगवाकर उन्हें कैद करना, बेड रहते हुए भी मरीजों को भर्ती न करना, घंटो ऑक्सीजन नहीं मिलने से मरीजों की मौत होना, अस्पताल द्वारा चंद रुपयों के लिए शव को बंधक बनाने जैसे मामले शामिल हैं।
लोगों का जुलूस निकालकर उन्हें लात से मारना
इंदौर के देपालपुर में कोरोना कर्फ्यू का उल्लंघन करने के नाम पर तहसीलदार बजरंग बहादुर के अमानवीय कारनामे का वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ। वीडियो में लोगों को कान पकड़कर उठक बैठक कराना, बैंड बाजे के साथ घुटने के बल चलवाते हुए औरलात मारते हुए तहसीलदार की तस्वीरें कैद हो गया। मामले में इंदौर के अधिवक्ता अभीजीत पांडे ने राज्य मानवाधिकार में वीडियो सहित शिकायत की थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेन्द्र कुमार जैन ने संभाग कमिश्नर, इंदौर कलेक्टर और तहसीलदार देपालपुर को नोटिस जारी कर उनसे 10 के भीतर प्रतिवेदन मांगा है।
25 हजार रूपये के लिये नहीं दिया शव
राज्य मानवाधिकार आयोग ने 25 हजार रुपये के लिए अस्पताल द्वारा शव को बंधक बनाए जाने के मामले को भी गंभीरता से लिया है। मामला बीते रविवार का है, इंदौर के पलासिया स्थित ग्रेटर कैलाश(जीके) अस्पताल में परिजनों ने 50 वर्षीय महिला की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया था। अस्पताल वालों ने उनसे 4 लाख रुपये जमा करा लिये थे, प्रबंधन द्वारा 25 हजार रुपये और दिये जाने की मांग की गई थी। लेकिन परिजनों द्वारा उस वक्त रुपया नहीं होने का हवाला दिया गया। जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने शव बंधक बना लिया था। मामले में आयोग ने कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक इन्दौर एवं ग्रेटर कैलाश अस्पताल, इन्दौर से 10 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है।
डाॅक्टरों की गुंडागर्दी और हुड़दंग के बीच तीन की मौत
ग्वालियर में जूनियर डॉक्टरों द्वारा मरीजों के परिजनों के साथ मारपीट किये जाने और इलाज नहीं करने के मामले को मानवाधिकार ने गंभीरता से लिया है। मामला कमलाराज अस्पताल का है। यहां बीते शनिवार को इलाज के दौरान एक 80 वर्षीय महिला की मौत हो गई। इसे लेकर ड्यूटी में मौजूद डॉक्टरों और परिजनों का विवाद हो गया। इसके बाद स्टाफ नर्स गुस्से में वार्ड से चली गई। इस दौरान दो और मरीजों की मौत हो गई। थोडी देर बाद एक दर्जन से अधिक डाॅक्टर्स वार्ड में पहुंचे और मरीजों के परिजनों को दौडा- दौडाकर पीटा, यहां तक कि महिला अटेंडेंट्स को भी नहीं बख्शा गया। हंगामे के बीच यहां भर्ती एक और महिला की मौत हो गई। डॉक्टरों की इस गुंडागर्दी का भी वीडियो सामने आया था। मामले में मृतक महिला के परिजनों ने आरोप लगाया था कि महिला को जिस मास्क से ऑक्सीजन दी जा रही थी, डाॅक्टर ने उसे ही हटा लिया। इससे उनकी मौत हो गई। डाक्टरों का कहना था कि पहले परिजनों ने वार्ड में हंगामा किया, जिसके बाद डाॅक्टर चले गये। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर तथा अधीक्षक, कमलाराजा चिकित्सालय, ग्वालियर से 10 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है।
दुकान बंद है, जो पैसे बचा रखे थे, उसी से कर रहा हूं गुजारा
भोपाल शहर के भदभदा में रहने वाले अब्दुल करीम 96 वर्ष के हैं। चलने-फिरने में काफी परेशानी है। लेकिन इस उम्र में भी वे भदभदा से नेहरू नगर जाने वाली रोड पर सायकिल सुधारने की छोटी से दुकान चलाकर परिवार का पेट पाल रहे हैं। वह कहते हैं कि कोरोना ने हालत बहुत खराब कर दी है। कर्फ्यू के कारण दुकान बंद है और बेटे का काम भी सही से नहीं चल रहा। ऐसे में दो वक्त का गुजारा भी बड़ी मुश्किल से हो पा रहा है। थोडा बहुत जो पैसा जमा कर रखा था, उसी से ही बमुश्किल गुजारा हो रहा है। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर भोपाल से 10 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने कलेक्टर से यह भी पूछा है कि ऐसे लोगों के लिये शासन की ओर से क्या व्यवस्था की गई है ?
मेडिकल कालेज शिवपुरी में लापरवाही की हदें पार
शिवपुरी में लगभग दो सौ करोड रूपये की लागत से मेडिकल कालेज बनने के बाद लोगों को आशा थी कि यहां पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया होंगी, लेकिन इन उम्मीदों पर पानी फिर गया है। इस मेडिकल कालेज में बीते कुछ रोज पहले शुरू किये गये कोरोना आईसोलेशन वार्ड और आईसीयू वार्ड में मरीजों के साथ बरती जा रही लापरवाही के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। यहां पर शिवपुरी जिला चिकित्सालय से रेफर की गई एक महिला की बीते गुरूवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक महिला के पति मनोज गौड ने बताया कि उसकी पत्नी को 27 अप्रैल को जिला चिकिल्सालय से यहां रेफर किया गया था। मेडिकल कालेज में उसकी पत्नी दरवाजे पर पड़ी रही, लेकिन उसे भर्ती नहीं किया गया। जैसे-तैसे कलेक्टर के दखल से पत्नी को भर्ती कराया, लेकिन दो दिन यहां पर चले इलाज में बरती गई घोर लापरवाही से उसकी पत्नी की मौत हो गई। इस मामले में आयोग ने अधीक्षक, मेडिकल कालेज अस्पताल, शिवपुरी से प्रतिवेदन मांगा है।
ढाई घंटे नहीं थी ऑक्सीजन, तीन मरीजों की मौत
जिला अस्पताल श्योपुर में बीते रविवार को ऑक्सीजन खत्म होने से तीन गंभीर मरीजों ने दम तोड़ दिया। अन्य मरीजों की हालत भी बिगड गई। करीब ढाई घंटे बाद जिला अस्पताल में ऑक्सीजन का इंतजाम हो सका। अस्पताल प्रबंधन ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत होने से इंकार किया। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, श्योपुर से 10 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है।
अस्पताल में बेड खाली फिर जमीन पर मरीज कैसे?
जिला अस्पताल सिवनी में 22 बेड की क्षमता वाले कोविड-3 वार्ड के गलियारे में 3-4 मरीज जमीन पर उपचार कराने के लिये मजबूर हैं। अस्पताल प्रशासन लगभग दो सप्ताह से इन्हें किसी वार्ड में पलंग मुहैया नहीं करा पा रहा। इसके चलते ये जमीन पर ही पडे रहे। कोविड-3 वार्ड में पहले से ही 20 मरीज भर्ती थे। इनमें से 12 सेन्ट्रल लाइन ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, 7 को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन लगाई गई थी। लेकिन वार्ड के ठीक बाहर जमीन पर लेटकर उपचार करा रहे मरीजों में से एक मरीज नूरसिंह का कहना था कि ऐसे बुरे हालातों में उसे अस्पताल में रखा गया है, उसके लिये यही बहुत है। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिवनी से एक सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
संक्रमितों को प्रशासन ने कराया कैद, घर में लगवाए ताले
मध्यप्रदेश के निवाडी के जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमितों के लिये एक तुगलकी आदेश जारी कर दिया। निवाडी शहर के चार वार्डाें में कोरोना संक्रमितों के बाहर घूमने की शिकायत मिलने पर कलेक्टर निवाडी ने उनके घरों मेें ताला लगवा दिया। इससे कोरोना संक्रमितों को दवाईयों और अन्य जरूरी सामग्री के लिये बहुत अधिक परेशान होना पडा। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर निवाडी से 10 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है।