हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने चार साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी नाबालिग की 10 साल की सजा को बरकरार रखा है। यह मामला 29 दिसंबर 2017 का है, जब आरोपी नाबालिग पर इंदौर में अपनी किरायेदार की बच्ची से दुष्कर्म का आरोप लगा था। जिला अदालत ने पहले आरोपी को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। आरोपी की ओर से हाईकोर्ट में अपील दायर की जिसमें आरोपी के वकील दलील दी कि मकान मालिक के किराया बढ़ाने और बिजली-पानी के बिल को लेकर झूठे मामले में फंसाया गया है।
हालांकि, हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए सजा को सही ठहराया। साथी हाईकोर्ट जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में किशोर अपराधियों के प्रति नरमी दिखाई जा रही है, जो चिंताजनक है। कोर्ट ने विधानमंडल पर निशाना साधते हुए कहा कि निर्भया कांड जैसी घटनाओं से अब तक कोई सबक नहीं लिया गया है। अदालत ने कहा कि किशोर अपराधियों पर सख्ती बरतने की जरूरत है, लेकिन एक दशक बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस फैसले से न्यायिक प्रणाली में किशोर अपराधियों के प्रति सख्त रुख अपनाने की दिशा में हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है।
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