शशांक द्विवेदी, खजुराहो। मध्य प्रदेश का इतिहास बेहद प्राचीन है। यहां की संस्कृति की जितनी तारीफ पूरी दुनिया में होती है, उतनी ही यहां के मंदिरों की होती है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने एक सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश के ‘खजुराहो मंदिर’ का उल्लेख किया। 

वक्फ कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिका के दौरान हुआ खजुराहो के मतंगेश्वर महादेव मंदिर का उल्लेख 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को नए वक्फ कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अहम सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने खजुराहो के मतंगेश्वर महादेव मंदिर का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में होने के बावजूद लोग इस मंदिर में पूजा कर सकते हैं। 

चीफ जस्टिस ने पूछा- ASI के संरक्षित घोषित किए जाने से होता है पूजा के अंधकार का हनन?

मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि “क्या एएसआई द्वारा संरक्षित घोषित किए जाने से पूजा के अधिकार का हनन होता है?” इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने कहा, “नया कानून वक्फ को शून्य घोषित कर देता है, जिससे आस्था का अधिकार प्रभावित होता है।”

एक मात्र मंदिर जहां आज भी होती है पूजा

खजुराहो का “मतंगेश्वर महादेव” मंदिर जो खजुराहो ही नहीं पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों की आस्था का केंद्र है। यह आज भी भारतीय पुरातत्व विभाग के मंदिरों के अधीन संरक्षित 25 मंदिरों में से एक है।  सिर्फ एक मात्र यही मंदिर है, जिसमें आज भी पूजा अर्चना होती है। जबकि सभी मंदिरों में वैकुंठ देवी या देवता गर्भग्रह में स्थापित हैं।

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