कर्ण मिश्रा। ग्वालियर में गांधी जयंती के मौके पर स्वर्ण रेखा नदी के पुनरुद्धार के लिए नदी सत्याग्रह किया गया। फूल बाग स्थित लक्ष्मीबाई समाधि स्थल के पास यह सत्याग्रह हुआ। स्वर्ण रेखा नदी बचाओ आंदोलन समिति के अध्यक्ष एडवोकेट विश्वजीत रतोनिया ने नाले में तब्दील हो चुकी स्वर्णरेखा नदी में 5 घंटे तक खड़े होकर सत्याग्रह किया। नदी बचाने के लिए किए गए सत्याग्रह की जानकारी लगते ही शहर के कई युवा और समाज सेवी भी इस नदी सत्याग्रह में शामिल हुए।  

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आज के इस एक दिवसीय सांकेतिक नदी सत्याग्रह के जरिेए नदी को उसके पुराने वैभव में लौटाने की मांग की गयी। खास बात यह भी है कि स्वर्णरेखा नदी को उसके पुराने स्वरूप में लौटाने के लिए ग्वालियर हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी एडवोकेट विश्वजीत रातोनियां ने दायर की थी। हाईकोर्ट ने स्थानीय जिला प्रशासन और नगर निगम को सख्त निर्देश दिए थे कि इसको पुराने रूप में लौटाने के लिए तत्काल काम शुरू किया जाए। हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद भी जिम्मेदारों ने इस ओर कोई भी काम नहीं किया।

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ऐसे में जिस तरह देश को आजाद करने के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह मुहिम छेड़ी थी। उसी तरह स्वर्णरेखा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए एक दिवसीय नदी सत्याग्रह किया गया। इसके बावजूद यदि जिम्मेदार अधिकारियों ने इस ओर ध्यान देकर काम नहीं शुरू किया। तो फिर एक सप्ताह बाद आमरण अनशन नदी सत्याग्रह शुरू किया जाएगा। जो की एक जन आंदोलन बन सकता है। गौरतलब है कि स्वर्णरेखा नदी इतिहास के पन्नों में ग्वालियर की जीवन धारा हुआ करती थी, लेकिन समय के साथ यह शहर के बड़े नाले में बदल गई है।

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