
शुभम नांदेकर, पांढुर्णा। मध्य प्रदेश के पांढुर्णा जिले में रेत माफियाओं की गतिविधियां इस कदर हावी हो चुकी हैं कि उन्हें रोकना असंभव सा प्रतीत होता है। इन माफियाओं की बेलगाम हरकतों ने कानून और नियमों की धज्जियां उड़ा दी हैं। स्थिति यह है कि जो भी अधिकारी इन्हें रोकने की कोशिश करता है, उसका तबादला तय माना जाता है। नतीजतन, प्रशासनिक अधिकारी चाहकर भी इन पर लगाम नहीं कस पा रहे हैं। आम जनता त्रस्त है, और इनकी दबंगई देखकर लोगों का कहना है कि इस बार का धनतेरस और दिवाली असल में रेत माफियाओं का त्योहार बन चुका है।
ओवरलोड डंपर से बदहाल सड़कों की स्थिति
रेत माफिया खुलेआम नियमों की अवहेलना करते हुए बिना रॉयल्टी के ओवरलोड डंपर और हाइवा को तेज रफ्तार में दौड़ा रहे हैं। इन भारी वाहनों की वजह से पांढुर्णा की सड़कें बदहाल हो चुकी हैं। ओवरलोडिंग के कारण सड़कों की हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि यात्रियों और स्थानीय निवासियों का आवागमन मुश्किल हो गया है। सड़कों पर फैली हुई धूल और रेत के कारण आम जनता को रोजाना प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल जनता के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यातायात सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गई है।
राजस्व को करोड़ों का नुकसान
बिना रॉयल्टी और प्रशासनिक अनुमति के इन ओवरलोड डंपरों के चलने से शासन को करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है। रेत माफिया अपने फायदे के लिए इस काले धंधे को बेधड़क अंजाम दे रहे हैं, और इसका सीधा असर सरकारी राजस्व पर पड़ रहा है। अगर यही स्थिति बनी रही, तो पांढुर्णा जैसे छोटे जिले में विकास कार्यों के लिए आवश्यक फंड की कमी हो सकती है। यह सवाल उठता है कि क्या शासन-प्रशासन इस राजस्व हानि को गंभीरता से लेगा और माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई करेगा?
नो एंट्री में भी खुलेआम एंट्री
रेत माफियाओं की हिम्मत इतनी बढ़ चुकी है कि वे नो एंट्री के समय में भी धड़ल्ले से अपने डंपरों को शहर की सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। आमतौर पर नो एंट्री समय में भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक होती है ताकि यातायात सुचारू रहे और दुर्घटनाओं की संभावना कम हो। लेकिन रेत माफिया इन नियमों की पूरी तरह से अनदेखी कर रहे हैं, जिससे आम जनता को खतरे का सामना करना पड़ रहा है। नियमों की इस अनदेखी में एक मुख्य और चिंताजनक पहलू यह सामने आया है कि शहर सीमा पर तैनात पुलिसकर्मी अन्य बड़े वाहनों को रोकते हैं, लेकिन रेत माफियाओं के ओवरलोड डंपरों को खुलेआम शहर में प्रवेश की अनुमति देते हैं। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यो प्रशासन माफियाओं के दबाव में है.? प्रशासन की इस उदासीनता पर सवाल उठना लाज़मी है, कि आखिर कब तक माफिया नियमों को ताक पर रखकर अपनी मनमानी करते रहेंगे?
सड़को पर उड़ती धूल में सांस लेते लोग
ओवरलोड तेज रफ्तार डंपरों से उड़ती धूल और रेत का सीधा असर आम नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। सड़कों पर हर वक्त धूल का गुबार छाया रहता है, जिससे राहगीरों और स्थानीय निवासियों का सांस लेना दूभर हो गया है। ये धूलकण श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए। प्रशासन की उदासीनता के कारण लोग मजबूरी में इस प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। त्योहार के समय पर जब लोग स्वच्छ वातावरण की उम्मीद करते हैं, ऐसे में यह धूल-धुएं से भरा माहौल उनकी खुशियों पर पानी फेर रहा है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
पांढुर्णा जिले में रेत माफियाओं की इस दबंगई और नियमों की अवहेलना के बावजूद प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर क्यों इन माफियाओं पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है? आम जनता प्रशासन से उम्मीद कर रही है कि वह जल्द से जल्द इन माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई करे और सौंसर क्षेत्र में स्थित रेत की अवैध खदानों और ओवरलोड वाहनों पर प्रतिबंध लगाए। जब तक शासन-प्रशासन जागेगा नहीं, तब तक पांढुर्णा जिले की जनता को रेत माफियाओं की इस मनमानी और आतंक का सामना करना पड़ेगा।
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