राहुल शर्मा, भिंड। सरकार ने गरीबों को मुफ्त राशन देने उनकी ई-केवायसी कराना अनिवार्य कर दिया गया है। ई-केवायसी गरीब बुजुर्गों, दिव्यांग और कुछ ऐसे जो पलंग से खड़े नहीं हो पाते उनके फिंगरप्रिंट नहीं मिल रहे है। ऐसे लोग को पिछले तीन माह से राशन नहीं मिला है। खास बात यह हैं कि विभाग के पास ऐसी व्यवस्था नहीं है जिससे जरूरतमंद लोगों की आंखों को स्कैन कर उनकी ई-केवायसी कर उन्हें लाभ दिलाया जा सके। बुजुर्ग दिव्यांग दूसरों के घरों पर काम करके अपना भरण पोषण कर रहे है जिससे उनके हाथों की लकीरें भी मिट गई है।

फिंगर चिह्न नहीं मिल पा रहे

बता दें कि जिले में राशन लेने वाले कुल 9 लाख 95 हजार 370 हितग्राही पंजीकृत थे। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने ई-केवायसी कराई, तो 91 हजार 928 अपात्र निकलकर सामने आए, जिनमें ऐसे लोग शामिल थे, जिनकी मौत हो चुकी है या फिर शादी होकर दूसरे शहरों में चले गए। 84 हजार 350 ऐसे लोग भी सामने आए हैं, जिनकी ई-केवायसी अब तक छूटी हुई है। वजह, अधिकांश के फिंगर चिह्न नहीं मिल पा रहे हैं। हालांकि कुछ बड़े शहरों में स्कैनर मशीन मंगाई गई है, जो कि आंखों की पुतलियों से स्कैन कर पहचान कर लेती है, पर भिंड में यह सुविधा नहीं है।

तीन माह से इनका सरकारी राशन बंद

भिंड शहर के खटीक खाने की 65 साल की मीना खान का आधा शरीर झुक गया। ठीक से खड़ीं नहीं हो पातीं। पर जिंदगी भर से मेहनत करती आ रहीं हैं। दूसरों के घर में बर्तन मांजते-मांजते हथेलियां छिल गई। झाडू-पोंछा करने से हाथों की लकीरें भी मिट गई है। तीन माह से इनका सरकारी राशन बंद है। क्योंकि अंगुलियों के निशान मिट जाने से ई-केवायसी नहीं हो पा रही। जिसके चलते मीना को खाने का संकट गहराने लगा है।

भिंड में यह सुविधा नहीं

फिलहाल, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सुनील कुमार बोहित ने कहा कि विभाग के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे इन जरूरतमंदों की केवायसी पूरी हो सके और पात्रता सूची में अपना नाम जुड़वा पाएं। हालांकि कुछ बड़े शहरों में स्कैनर मशीन मंगाई है, जो आंखों की पुतलियों से स्कैन कर पहचान कर लेती है, पर भिंड में यह सुविधा नहीं है।

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