शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का अथाह गहराई में छिपा इतिहास उजागर होगा। भोपाल की जीवन रेखा बड़ा तालाब में 11 वीं सदी की वैदिक नगरी होने की मान्यता है। मामले को लेकर भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने संसद स्थाई समिति में प्रस्ताव रखा है। अब राजा भोज की नगरी भोजपाल का पुरातात्विक, धार्मिक, सामाजिक धरोहर और अतीत से पर्दा उठेगा।

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गौंड वंश की गौरव गाथा तालाब की गहराई में छिपा है। आज भी बुर्ज और खम्भ दिखाई देते हैं। 15 साल पहले ऑकियोलाजी सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने भी अंडर वाटर सर्वे का प्रस्ताव तैयार किया था। बड़ा तालाब राजा भोज ने बनवाया था। भोपाल का बड़ा तालाब विश्व धरोहर रामसर साइट में शामिल है। कई बार भोपाल के पुरातत्विकविद भी मांग उठा चुके है। भोपाल के तालाब के साथ कई किंवदंतियां जुड़ी हुई जैसे- बेशकीमती खजाना, मोहर, हीरे जवाहरात भी तालाब में डूबे किले में दफन है। यह मध्य भारत की सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में से एक है। इसे अपर लेक के नाम से भी जाना जाता है। यह एशिया का सबसे बड़ा कृत्रिम तालाब है। साल 2002 में इसे मध्य प्रदेश की पहली रामसर साइट घोषित किया गया था

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