आशुतोष तिवारी, रीवा। शहर के संजय गांधी अस्पताल में आज विचाराधीन बंदी की उपचार के दौरान मौत हो गई. मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने बंदी को कोरोना संक्रमित बताकर परिजनों को डेड बॉडी देने से इनकार कर दिया. डेड बॉडी की मांग को लेकर परिजनों ने अस्पताल के मुख्य गेट पर चक्का जाम करते हुए जमकर हंगामा कर दिया.
मृतक कर्चुलियान थाना क्षेत्र अंतर्गत गोरेगांव का रहने वाले मथुरा प्रसाद साकेत
रीवा जिले के रायपुर कर्चुलियान थाना क्षेत्र अंतर्गत गोरेगांव का रहने वाले मथुरा प्रसाद साकेत आपसी विवाद के चलते विचाराधीन कैदी के तौर पर केंद्रीय जेल रीवा में कैद था. जिसकी अचानक तबीयत खराब होने के चलते उसे संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान आज उसकी मौत हो गई. डॉक्टरों के द्वारा विचाराधीन बंदी को कोरोना संक्रमित बताकर परिजनों को डेड बॉडी देने से इनकार कर दिया गया. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल के मुख्य द्वार पर ताला लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया. वे डेड बॉडी लेने की मांग करने लगे. परिजनों ने पुलिस और प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जेल के अंदर उनके साथ बर्बरता की गई है. जिसको छुपाने के लिए प्रशासन ने मृतक को कोरोना संक्रमित बताकर डेड बॉडी देने से इनकार कर दिया है.
परिजनों ने कहा कि जेल में मारपीट से बंदी की मौत
परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सवाल उठाया है कि जब जेल ले गए तब निगेटिव थे और मौत के बाद पॉजिटिव कैसे हो गए. यदि पॉजिटिव थे तो जेल में कोरोना फैलाने बंदियों के साथ क्यों रखा गया? परिजनों ने कहा कि जेल में मारपीट से बंदी की मौत हुई है. मारपीट के निशान और साक्ष्य छिपाने के लिए कोरोना संक्रमित बताकर बॉडी देने से इनकार कर दिया. परिजनों ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. परिजनों ने कहा कि पूरे मामले में जेल और अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आ रही है?
कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतमि संस्कार
हालांकि मामले पर गंभीरता दिखाते हुए तुरंत ही मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अमले ने मृतक के परिजनों को शांत कराया. उन्हें कोविड प्रोटोकॉल के तहत जानकारी देते हुए संक्रमित मरीज के डेड बॉडी का अंतिम संस्कार किए जाने की बात करते हुए उन्हें घर के लिए वापस कर दिया.
बंदी का जेल में कोरोना टेस्ट
नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला ने बताया कि बंदी का जेल में कोरोना टेस्ट कराया था रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी इसलिए उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था. मामले की जांच की जाएगी. परिजन मुआवजे की मांग कर रहे हैं. प्रशासन के पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.