शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में भगवान श्रीराम कथा में छिपा विज्ञान अब शिक्षा का हिस्सा बनेगा। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इसकी तैयारी की जा रही है। इसी कड़ी में राजधानी भोपाल स्थित भोज मुक्त विश्वविद्यालय में श्री रामचरितमानस का विज्ञान पढ़ाया जाएगा।

दरअसल रामचरितमानस के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समझाने अब इसे विशेष पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पढ़ाने के लिए भोज मुक्त विश्वविद्यालय एक नया पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। पाठ्यक्रम में रामचरितमानस की चौपाइयों के माध्यम से विज्ञान के सिद्धांतों को समझाया जाएगा। स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम को डिजाइन किया जा रहा है।

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रामचरितमानस का भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान

रामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16 वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः ‘तुलसी रामायण’ या ‘तुलसीकृत रामायण’ भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। रामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है। उत्तर भारत में ‘रामायण’ के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा मंगलवार और शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है।

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