हेमंत शर्मा, इंदौर। देश में तेजी से बढ़ते कोरोना मामलों के बीच रेमडेसिविर की कालाबाजारी भी तेजी से हो रही है. कोरोना संकट के दौर में जहां लोगों दवाई की कमी से जूझ रहे हैं, तो कुछ लोग चंद पैसों के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. सोमवार को मध्य प्रदेश के इंदौर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया. यहां नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगने की वजह से तीन लोगों की मौत हो गई. हालांकि आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
जानकारी के मुताबिक नकली इंजेक्शन लगाने के कुछ ही देर बाद तीनों मरीजों की तड़प-तड़प कर मौत हो गई. वहीं इस मामले में दवा बाजार के दलालों और डॉक्टरों की भूमिका पुलिस को संदिग्ध नजर आ रही है. साथ ही कई रसूखदारों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है. फिलहाल पुलिस ने आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है.
गौरतलब है कि इंदौर के विजय नगर थाना क्षेत्र में नकली रेमडीसीवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. मामले में पुलिस अब तक 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं 6 लोगों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई है. इस मामले का मुख्य सप्लायर सुनील मिश्रा गुजरात के सूरत में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली फैक्ट्री से इंजेक्शन खरीदता था. यह खुलासा उस समय हुआ जब सूरत पुलिस ने फैक्ट्री पर छापामार कर दवा माफिया पुनीत शाह और कौशल वोरा को गिरफ्तार किया. दोनों आरोपी नमक और ग्लोकोज के मिश्रण से रेमडेसिविर बना रहे थे. वोरा और शाह की निशानदेही पर इंदौर के सुनील मिश्रा की गिरफ्तारी हुई और परत दर परत पोल खुलती गई. पुलिस पूछताछ के लिए आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर लाने की तैयारी में है.
बता दें कि सुनील मिश्रा को सूरत पुलिस इंदौर लेकर पहुंची थी. इस दौरान पुलिस को पूछताछ में इंदौर के दवा बाजार के दलालों की भूमिका भी मिली है, जिसमें पुलिस दवा बाजार के दलालों की गिरफ्तारी में जुटी है. सूत्रों के मुताबिक दवा बाजार के एक बड़े व्यापारी ने नकली रेमडीसीवीर इंजेक्शन खरीदे थे, जिसकी जानकारी जुटाने में पुलिस लगी है. हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के हस्तक्षेप के बाद पुलिस और भी गंभीरता से पूरे मामले की जांच में जुटी है.