मुकेश सेन, टीकमगढ़. मध्य प्रदेश के ‘अंधे सिस्टम’ के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसा ही एक मामला टीकमगढ़ से सामने आया है. शुक्रवार को दो दिव्यांग कलेक्ट्रेट पहुंचे, जिन्हें दिखाई नहीं देता हैं. उन्होंने बताया कि पशुपालन विभाग में दिव्यांग के लिए नौकरी निकली थी, जिसका उनके साक्षात्कार किया गया था. जिस दिव्यांग की दिव्यांगता उनसे कम थी, उसे सूची में सबसे प्रथम स्थान पर रखा गया.
दरअसल, यह कहानी ग्वालियर जिले के रहने वाले शोभित द्विवेदी की है. शोभित ने इस मामले को लेकर भोपाल के वल्लभ भवन में जाकर संबंधित विभाग के अधिकारियों से बात की. उन्होंने उन्हें वापस टीकमगढ़ भेजा दिया और कहा कि टीकमगढ़ कलेक्टर से इस विषय पर बात करें. जब वह कलेक्ट्रेट पहुंचे तो वह कलेक्टर ऑफिस तक नहीं पहुंच पा रहे थे, क्योंकि जो रेम्प दिव्यांगों के लिए बनाया गया हैं. वह बंद था. वह इधर से उधर भटक रहे थे.
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इसके बाद मीडियाकर्मी ने उनका हाथ पकड़कर सीढ़ियों के रास्ते से कलेक्टर ऑफिस के सामने बने विश्राम कक्ष तक में पहुंचाया. जब संबंधित अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आठवीं कक्षा के पास दिव्यांगों को यह नौकरी मिली थी, लेकिन जिसको सबसे ऊपर रखा गया है उसके अंक ज्यादा थे. अब सवाल यह खड़ा होता है कि जिसकी दिव्यंगिता ज्यादा है, उसे वह नौकरी क्यों नहीं मिल पा रही है? हालांकि, इस मामले में पशुपालन विभाग के अधिकारी आरके जैन का कहना है कि इसकी जांच चल रही है. जांच समिति द्वारा जो भी निर्णय सामने आएगा, उसे हिसाब से कार्रवाई की जाएगी.
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