मनीष कुमार मारू,आगर मालवा। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह हो गई है. संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है. मजबूरी में लोग कहीं पर भी उपचार करा रहे हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप और बिना डिग्री वाले डॅाक्टर लोगों का उपचार कर रहे हैं. इसी कड़ी में जिले के एक गांव से हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. जहां डॉक्टर बंगीचे में पेड़ों की हटनियों के सहारे ग्लूकोज की बोतल चढ़ाकर ग्रामीण मरीजों का उपचार कर रहे थे.
संतरे के एक बगीचे में दरी और कार्टून के उपर ही मरीजों को लिटाकर उपचार
यह चौका देने वाली तस्वीर सुसनेर से पिड़ावा राजस्थान की और जाने वाले मार्ग पर ग्राम धानियाखेड़ी से करीब आधा किलोमीटर दूर की है. जहां पर मुख्य सडक से 200 मीटर दूरी पर स्थित संतरे के एक बगीचे में दरी और कार्टून के उपर ही मरीजों को लिटाकर पेड की टहनियों के सहारे ग्लूकोज की बोतल चढ़ाकर निजी चिकित्सकों के द्वारा उपचार किया जा रहा था. इस जगह पर आसपास के करीब 10 गांवों के मरीज बड़ी संख्या में अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचे थे. यहां इलाज करा रहे मरीजों को न तो कोरोना का भय था और न ही सोशल डिंस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे. अधिकतर लोग बिना मास्क लगाए ही नजर आ रहे थे. ग्रामीण क्षेत्रों की इस तरह की व्यवस्था के बीच कोरोना संक्रमण को फैलने से कैसे रोका जा सकेगा, यह अपने आप में बड़ा सवाल है.
अस्पताल जाने पर उन्हें कोरोना वार्ड में भर्ती करने का भय
इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल जाने पर उन्हें कोरोना वार्ड में भर्ती करने का भय बना हुआ है. लोग कोरोना के भय के कारण सामान्य बीमारियों का उपचार गांव के झोलाछाप डॉक्टर से उपचार कराना बेहतर समझ रहे हैं. यहां पर सामान्य बीमारी के पीडि़त मरीजों को उनके परिजन बाइक पर बैठाकर लाए थे.
ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी
सुसनेर के ब्लॅाक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर मनीष कुरील ने बताया कि शासन के निर्देश पर झोला छाप और बिनी डिग्री वाले डाक्टरों के खिलाफ कल कार्रवाई की गई थी. उन्हें समझाइश दी गई थी कि लोगों को सही सलाह दें. सर्दी खांसी और बुखार की शिकायत होने पर अस्पताल में जाकर जांच कराए. संभवत: कार्रवाई के डर से वे अब बगीचों में मरीजों का उपचार करने लगे हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं ग्रामीणों को भी अस्पताल में जाकर उपचार कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा.