शुभम नांदेकर, पांढुर्णा। विधायक नीलेश उइके ने हाल ही में अपने खेत में महुआ बीनते हुए एक तस्वीर साझा की और लिखा, “हमारी संस्कृति हमारी पहचान! जय सेवा जय जोहर।” पोस्ट की कांग्रेस सोशल मीडिया प्रभारी ने सराहना करते हुए लिखा कि विधायक न केवल जनता की सेवा पूरी मेहनत और निष्ठा से करते हैं, बल्कि अपने खेतों में भी मेहनत करने से नहीं चूकते। हालांकि, दूसरी ओर आदिवासी समाज में महुआ से जुड़े एक अलग ही संघर्ष की तस्वीर उभर रही है। प्रशासन और आबकारी विभाग द्वारा आदिवासी समुदाय पर झूठे मामले दर्ज करने के मामले सामने आ रहे हैं। आदिवासियों का आरोप है कि आबकारी अधिकारी 4 लीटर महुआ शराब को 40 लीटर दिखाकर झूठे प्रकरण बनाते है। यह गरीब आदिवासियों से पैसे ऐंठने का जरिया बन गया है।
शिवराज की घोषणा अधूरी
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल में महुआ शराब को आदिवासियों की आमदनी का जरिया बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि यदि कोई परंपरागत रूप से महुआ शराब बनाता है, तो उसे बेचने का भी अधिकार मिलना चाहिए और सरकार इसे वैधानिक मान्यता देगी। उन्होंने महुआ शराब को “हेरिटेज शराब” का दर्जा देने के लिए नई आबकारी नीति लाने की बात भी कही थी। लेकिन, बाद में उन्हे केंद्रीय मंत्री बना दिया और यह घोषणा अधूरी रह गई।
सांसद ने पीएम को महुआ कुकीज और लड्डू किए भेंट
बीते दिनों सांसद बंटी विवेक साहू ने दिल्ली में संसद सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आदिवासी बहनों द्वारा तैयार महुआ कुकीज और लड्डू भेंट किए थे। उन्होंने प्रधानमंत्री को महुआ के महत्व और इसकी विशेषताओं के बारे में भी जानकारी दी। सांसद ने यह भी कहा कि महुआ आधारित उत्पाद आदिवासी समुदाय की आर्थिक स्थिति को सशक्त करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं और सरकार को इसे बढ़ावा देना चाहिए।
आबकारी ठेकेदारों के इशारे पर हो रही कार्रवाई
प्रकाश उइके पांढुर्णा भाजपा प्रभारी ने कहा आदिवासी जनजाति को व्यक्तिगत रूप से 4.5 लीटर, एक परिवार को 15 लीटर और सामाजिक या त्योहारों के अवसर पर 46 लीटर महुआ शराब बनाने और उपयोग करने का कानूनी अधिकार है। इसके बावजूद, आबकारी विभाग ठेकेदारों के इशारे पर गरीब आदिवासियों के खिलाफ गलत कार्रवाई कर रहा है ताकि अंग्रेजी शराब को ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से बेचा जा सके।
लगातार झूठे प्रकरण बन रहे
विधायक नीलेश उइके ने मामले को लेकर कहा कि विधानसभा में यह विषय प्रमुखता से उठाउंगा। मैं स्वयं आदिवासी हूं। पांढुर्णा में आदिवासियों पर आबकारी का यह अत्याचार बहुत बढ़ गया है। भाजपा सरकार में निर्दोष आदिवासी भाइयों पर लगातार झूठे प्रकरण बन रहे है।

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