अजय नीमा, उज्जैन. सिंहस्थ 2028 को भव्य और ऐतिहासिक बनाने की दिशा में उज्जैन को एक बड़ी सौगात मिली है. शिप्रा नदी के दोनों किनारों पर करीब 800 करोड़ रुपये की लागत से 29 किलोमीटर लंबे रिवर फ्रंट कॉरिडोर जैसे घाटों का निर्माण किया जाएगा. इस परियोजना का भूमिपूजन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादन ने संतों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया.

कार्यक्रम की शुरुआत अंगारेश्वर भगवान के पूजन-अर्चन से हुई. इसके बाद सीएम ने घाटों और बैराज निर्माण के कार्यों का भूमिपूजन किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि “30 किमी तक फैले इन घाटों पर सिंहस्थ के दौरान 24 घंटे में 5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे.”

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मुख्यमंत्री ने बताया कि शिप्रा में जल का स्थाई प्रवाह बना रहे, इसके लिए सिलारखेड़ी योजना लाई जा रही है. भविष्य में शिप्रा नदी को नदी परिवहन के रूप में भी विकसित किया जाएगा. जिससे वाल्मीकि धाम से सिद्धनाथ घाट, शनि मंदिर से गौ घाट, और लालपुर से छोटे पुल तक नौका विहार संभव होगा. उज्जैन को इंदौर मेट्रो से भी जोड़ा जाएगा.

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सीएम ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आग्रह था कि घाट निर्माण के लिए स्वयं आकर भूमिपूजन किया जाए. उज्जैन तीर्थ नगरी है, इसलिए यह काम संतों के सान्निध्य में ही शुभ है.” इस मौके पर उन्होंने एक घाट का नाम अहिल्या माता के नाम पर रखने की घोषणा भी की.

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