सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर में शहीद अमृता देवी विश्नोई की प्रतिमा का अनावरण किया। इंदौर के सिटी फॉरेस्ट में 30 लाख रुपये की लागत से शहीद अमृता देवी की प्रतिमा बनायी गई है। उन्होंने कहा पर्यावरण और वन से ही हमारा जीवन है, शहीद अमृता दुनिया में त्याग और बलिदान की मिसाल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद अमृता देवी और उनकी बेटियों ने वन और पेड़ों को बचाने के लिए हंसते-हंसते अपना बलिदान दिया। उनका यह बलिदान दुनिया में एक अलग पहचान रखता है। उनका बलिदान दुनिया को बड़ी सीख देता है कि किस प्रकार से पर्यावरण संरक्षण के लिए 300 साल पहले भी आंदोलन किया गया। मुख्यमंत्री जी ने शहीद अमृता देवी के पर्यावरण संरक्षण के बलिदान के लिए समस्त विश्नोई समाज को धन्यवाद अर्पित किया।

पेड़ों को बचाने तीन बेटियों के साथ प्राण त्यागा

कार्यक्रम में पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने बताया कि शहीद अमृता देवी राजस्थान की खेजडली गांव की एक बहादुर महिला थीं। उन्होंने विश्नोई धर्म की वेदी पर अपने जीवन का बलिदान दिया। सन 1730 में राजस्थान के मारवाड़ में खेजडली नामक स्थान पर हरे पेड़ों को काटने से बचाने के लिए अमृता देवी विश्नोई ने अपनी तीन बेटियों आसू, रत्नी और भागू के साथ अपने प्राण त्याग दिए। उनके साथ 363 से अधिक अन्य विश्नोई पेडों को बचाने के लिए शहीद हो गए। शहीद अमृता देवी ने राजा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, क्योंकि उन्होंने विश्नोई धर्म में निषिद्ध हरे पेड़ों को काटने का प्रयास किया था। पुरुषवादी सामंती पार्टी ने उससे कहा कि अगर वह चाहती है कि पेड़ों को बख्शा जाए, तो उन्हें रिश्वत के रूप में पैसा देना चाहिए।

फॉरेस्ट का नाम “शहीद अमृता देवी विश्नोई”

उसने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया और उनसे कहा कि वह इसे अज्ञानता का कार्य मानेंगी और अपने धार्मिक विश्वास का अपमान करेंगी। उसने कहा कि वह हरे पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान दे देगी। उल्लेखनीय है कि इंदौर नगर निगम द्वारा वर्ष 2008 में बिचौली हप्सी में 27 एकड भूमि पर सिटी फारेस्ट विकास कर वृहद पौधरोपण किया गया है। सिटी फॉरेस्ट का नामकरण मेयर-इन-कौसिंल के संकल्प से “शहीद अमृता देवी विश्नोई” के नाम पर किया गया है। आभार प्रदर्शन सभापति मुन्ना लाल यादव ने किया।

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