कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर कलेक्टर की जनसुनवाई में एक व्यक्ति ने जमकर हंगामा किया, उसने सुनवाई न होने का आरोप लगाते हुए अधिकारियों को खूब खरी खोटी सुनाई। शिकायकर्ता युवक नंगे पैर अपनी 03 साल की बेटी के साथ CM स्वेच्छा निधि से आर्थिक मदद की गुहार लगाने जनसुनवाई में पहुंचा था।
पत्नी की देखभाल के साथ 3 साल की मासूम बेटी को संभालने की जिम्मेदारी
दरअसल जिले के मोहना का रहने वाला जितेंद्र गोस्वामी मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालता है। उसकी पत्नी गंभीर बीमार होने के चलते सरकारी जिला अस्पताल मुरार में भर्ती है। ऐसे में पत्नी की देखभाल के साथ ही 03 साल की मासूम बेटी को संभालने की जिम्मेदारी भी उसी पर है। इस कठिन हालात में वह मजदूरी करने नहीं जा पा रहा है। जिसके कारण आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है। लिहाजा वह ग्वालियर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचा जहां उसने अधिकारियों को अपनी पीड़ा सुनाई लेकिन अधिकारियों द्वारा कलेक्टर मैडम की अनुपस्थिति होने के चलते रेड क्रॉस से आर्थिक मदद वर्तमान में तत्काल मिलने की सम्भवनाओ से इनकार कर दिया। जिसे सुनकर वह बिफ़र गया। उसने जनसुनवाई में मौजूद सभी अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि वर्तमान में उसे आर्थिक मदद की आवश्यकता है क्योंकि उसकी पत्नी गंभीर बीमार हालात में जिला अस्पताल में भर्ती है। 3 साल की बेटी को भी उसे संभालना पड़ रहा है जिसके कारण वह मजदूरी करने नहीं जा पा रहा।
लोगों से रुपए मांग कर अपना पेट भर रहा
हैरानी वाली बात यह है कि तत्कालीन कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने 13 अक्टूबर 2022 को उसकी आर्थिक मदद के लिए मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान निधि का प्रस्ताव शासन को भेजा था। लेकिन उनके ट्रांसफर के बाद आगे कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके चलते आज वह आसपास के लोगों से रुपए मांग कर अपना पेट भर रहा है। अपनी पत्नी को बीमारी में फल भी खरीदकर नहीं दे पा रहा है, जितेंद्र गोस्वामी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मदद की गुहार लगाई है।
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वहीं इस मामले में एडीएम CB प्रसाद का कहना है कि जितेंद्र गोस्वामी द्वारा जिस तरह अनुचित व्यवहार गुस्से में किया है यह ठीक नहीं है। पूर्व में भी कलेक्टर मैडम द्वारा उसकी आर्थिक मदद नियमों के तहत कर चुकी है, उसे आवास की आवश्यकता थी जिसको लेकर कलेक्टर मैडम द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजा गया और वह प्रस्ताव भी स्वीकृत हो चुका है राशि आना बाकी रह गयी है। प्रशासन स्तर पर बार-बार आर्थिक मदद करना संभव नहीं हो पता है।
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