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संदीप शर्मा, विदिशा. प्रशासन ने केथन डैम के पास एक किसान की करीब 30 बीघा की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलवाकर नष्ट करवा दिया. प्रशासन का कहना था कि जमीन सरकारी है. वहीं फसल को नष्ट होता देख किसान रोता रहा और कुछ देर बाद वह बेहोश हो गया, जबकि पत्नी प्रशासन से गुहार लगाते-लगाते बेहोश हो गई.
जब किसान मूलचंद के खेत पर ट्रैक्टर चलाया गया तो वह बेहोश गया, जबकि उसकी पत्नी रोते हुए अधिकारियों ने 8-10 दिन की मोहलत मांगती रहे, ताकि वो फसल काट सकें. लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने फसल नष्ट करवा दिया.
किसान कहना है कि उनके पास जमीन का पट्टा है. इसके बाद भी किसान की फसल पर प्रशासन ने ट्रैक्टर चला दिया. इधर, तहसीलदार का कहना है कि जमीन सरकारी है. इसलिए कब्जा हटाया गया है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब किसान पट्टा होने का दावा कर रहा है तो प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने किस नियम के तहत कार्रवाई की? अगर अधिकारियों की गलती है तो उनकी जवाबदेही कौन तय करेगा?
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