विकास आर्या, विदिशा। दशहरे के अवसर पर एक तरफ पूरे देशभर में रावण दहन कर सत्य पर असत्य की जीत होती है। लेकिन मध्य प्रदेश में एक ऐसी जगह है, जहां पर प्रभु श्री राम की जगह रावण की पूजा होती है। सिर्फ यही नहीं बल्कि कोई भी शुभ कार्य दशानन की पूजा के बिना नहीं होता है। हम बात कर रहे हैं विदिशा जिले के शमशाबाद की जहां दशहरा में रावण दहन के अवसर पर शोक मनाया जाता है।
रावण से युद्ध करना चाहता था बुद्धा नाम का राक्षस
शमशाबाद विधानसभा की नटेरन तहसील से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है जिसका नाम रावण है। यहां एक रावण बाबा के नाम से प्रसिद्द प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में लंकेश की 6 फिट लेटी हुई प्रतिमा है। बुजुर्ग इसका इतिहास बताते हैं कि उत्तर दिशा में 3 किलोमीटर की दूरी पर एक बूदे की पहाड़ी है, जहां प्राचीन काल मे बुध्दा नामक एक राक्षस रहा करता था। जो रावण बाबा से युद्ध करने की बहुत इच्छा रखता था। लेकिन जब वह लंका तक पहुंचता और वहां की चकाचौंध देखता तो उसका बल कम हो जाता।
रावण के नाम से पड़ा गांव का नाम
एक दिन रावण ने इस राक्षस से पूछा कि तुम दरबार में क्यों आते हो और हर बार बिना कुछ बताये चले जाते हो। तब बुद्धा राक्षस ने कहा कि महाराज मैं हर बार आप से युद्ध की इक्षा लेकर आता हूं। लेकिन यहां तक आने में मेरा बल खत्म हो जाता है। तब रावण ने कहा कि तुम वहीं पर मेरी एक प्रतिमा बना लेना और उसी से युद्ध करना। तब से यह प्रतिमा यहीं पर रखी हुई है और राक्षस का अंत उसी प्रतिमा से हुआ था। लोगों ने उस प्रतिमा की महिमा को देखते हुए वहां मंदिर बना दिया। इस गांव का नाम भी इसी मंदिर से पड़ा।
तालाब के अंदर रावण की पत्थर पर तलवार
जब भी यहां कोई हवन, पूजन या बड़ा पर्व मनाया जाता है तो पहले यहां रावण को पूजा जाता है। गांव में जब शादी या कोई समारोह किया जाता है तो रावण की नाभि में तेल भरकर शुभारंभ किया जाता है। मंदिर से सटा हुआ एक तालाब भी है, जिसकी भी अनोखी महिमा है। इसके अंदर रावण की एक प्राचीन पत्थर की तलवार है और लोग उस तालाब के पानी को गंगा के समान पवित्र माना जाता है।
तालाब के जल का पानी पीने से मिलती है बीमारियों से निजात
दावा किया जाता है कि तालाब के चरणामृत के समान जल को पीकर तरह तरह की बीमारियों से निजात मिलती है। जब पानी खत्म हो जाता है तो इसकी मिट्टी से लोग सिर धो कर नहाते है जिससे किसी भी प्रकार के चर्म रोग से निजात मिलती है।
शरीर पर लिखवाते हैं ‘रावण बाबा की जय’
लोगों की मंदिर और तालाब के प्रति इस प्रकार आस्था जुड़ी है कि गांव में जब भी कोई वाहन खरीदता है तो उस पर रावण बाबा का नाम जरूर लिखवाते हैं। ओर जब मंदिर के पास से निकलते हैं तो गाड़ी या किसी भी प्रकार के वाहन का हॉर्न बजाकर या बाबा को प्रणाम करते हुए जाते हैं। यहां तक कि लोग अपने शरीर पर भी रावण बाबा की जय लिखवाते है।
रावण दहन पर गांव में मनाते हैं शोक
जहां एक तरफ पूरे देशभर में रावण दहन कर दशहरा पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं दूसरी ओर इस गांव में इसका शोक मनाया जाता है। और रावण बाबा को खुश करने और मनाने के लिए विशेष पूजा एयर भंडारा रामायण पाठ किया जाता है।
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