डिंडोरी। मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना जमीनी हकीकत से काफी दूर नजर आ रही है। आदिवासी बाहुल्य इस जिले में आज भी हजारों लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद हालात जस के तस हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही ने सरकारी दावों की पोल खोल कर रख दी है।
कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाने की मजबूरी
दरअसल नर्मदा नदी के किनारे बसा बजाग विकासखंड का मझियाखार गांव खुद प्यासा है। यहां के दो हजार से ज्यादा ग्रामीण आज भी सिर्फ दो हैंडपंपों पर निर्भर हैं। सुबह से शाम तक पानी के लिए लंबी कतारें लगती हैं। बूढ़े हो या बच्चे, महिलाएं हो या पुरुष, हर किसी को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। भले ही जल जीवन मिशन के तहत करोड़ों की लागत से हर घर जल पहुंचाने की योजना मंजूर हो चुकी है, लेकिन बीते चार सालों से काम अधूरा पड़ा है। नतीजा, ग्रामीणों को आज भी कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है।
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गांवों में हकीकत आज भी बेहद कड़वी
सरकारी फाइलों में भले ही योजना पूरी हो गई हो, लेकिन मझियाखार जैसे गांवों में हकीकत आज भी बेहद कड़वी है। सवाल ये है कि जिनके भरोसे सरकार घर-घर पानी पहुंचाने की बात कर रही है, वही जिम्मेदार कब तक जनता को सूखा झेलने पर मजबूर करते रहेंगे। इस गंभीर स्थिति पर कार्यपालन यंत्री अफजल अमानुल्लाह ने ठेकेदार की लापरवाही का हवाला देते हुए कहा कि टेंडर निरस्त कर दिया गया है और नई प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
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