संदीप शर्मा, विदिशा। देशभर में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण ने कई इंडस्ट्रीज की कमर तोड़कर रख दी है. कोरोना वायरस के संक्रमण ने हर वर्ग को खासा नुकसान पहुंचाया है. अलग-अलग सेक्टर्स पर इसके बहुत बुरे परिणाम देखने को मिले हैं. मूर्तिकारों पर कोरोना महामारी का बड़ा असर पड़ा है. कोरोना महामारी के कारण मूर्तिकारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आ गई है. जो हाथ कभी भगवान की सुंदर-सुंदर मूर्तियां बनाते थे, वो आज दाने- दाने को मोहताज हो गए हैं.
मध्यप्रदेश के विदिशा शहर के बाईपास पर सड़क के किनारे झोपड़ियां बनाकर रहने वाले मूर्तिकारों को दो वक्त की रोटी भी नसीब होना मुश्किल हो रहा है. कोरोना महामारी ने इन मूर्तिकारों की कमर तोड़ दी है. रोजाना 200 से 300 रूपए कमाने वाले इन परिवारों को अब 50 रूपए की भी आमदनी नहीं हो रही है.
गांव में नहीं घुसने दे रहे लोग
मूर्तिकारों ने बताया कि कोरोना काल में वे जिस गांव में मूर्तियां बेचने जा रहे हैं, वहां के लोग इन्हें गांव में घुसने नहीं देते और कई तो दुर्व्यवहार कर मूर्तियां तोड़ने की बात करते हैं. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन की सख्ती की वजह से शहर में मूर्ति बेचने नहीं जा पा रहे हैं. उनका कहना है कि जब से कोरोना शुरू हुआ है, तब से गांव के लोग कोरोना वायरस वाला कहकर भगा देते हैं.
मूर्तिकारों ने बताया कि किसी तरह कुछ पैसे जोड़ रखे थे, उसी से खर्च चला रहे थे, लेकिन पिछले 1 महीने से कोई मूर्ति नहीं बिकने से अब जमा पैसे भी खत्म हो गए हैं.
लॉकडाउन से धंधा चौपट
बता दें कि राजस्थान के उदयपुर जिले के रहने वाले मूर्तिकार पिछले 2 सालों से विदिशा जिले की अलग-अलग तहसीलों में मूर्तियां बनाते है. जिन्हें बेचकर वे अपना और अपने परिवार का पेट पलाते थे, लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़ दी है. कारण ये है कि लॉकडाउन के चलते उनका धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है.