धर्मेंद्र यादव, निवाड़ी। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान राम श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। इसे लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है। हम आपको एक ऐसी मान्यता के बारे में बता रहे है जहां भगवान श्रीराम दिनभर निवास करने के बाद शाम को अयोध्या चले जाते हैं। यहां श्री राम की राजा के रूप में पूजा होती है।
बैठे जिनकी गोद में मोद मान विश्वेश कौशल्या सानी हुई रानी कुंवरि गणेश…हम आपको भक्ति की पराकाष्ठा की एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जंहा एक रानी ने अपनी भक्ति के बल पर न केवल भगवान राम को साक्षात रूप में प्रकट किया, बल्कि उनकी तुलना माता कौशल्या से करने लगे।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, संवत 1631 में ओरछा स्टेट के शासक मधुकर शाह कृष्ण भक्त तो उनकी रानी कुंवरि गणेश रामभक्त थीं। राजा मधुकर शाह ने एक बार रानी कुंवरि गणेश को वृंदावन चलने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने अयोध्या जाने की जिद की। राजा ने कहा था कि राम सच में हैं तो ओरछा लाकर दिखाओ। महारानी कुंवरि गणेश अयोध्या गईं। जहां उन्होंने प्रभु राम को प्रकट करने के लिए तप शुरू किया। 21 दिन बाद भी कोई परिणाम नहीं मिलने पर वह सरयू नदी में कूद गईं।
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महारानी ने ओरछा जाने की कही थी बात
सरयू नदी में कूदते ही भगवान श्री राम बाल स्वरूप में उनकी गोद में बैठ गए। श्रीराम जैसे ही महारानी की गोद में बैठे तो महारानी ने ओरछा चलने की बात कह दी। भगवान ने तीन शर्तें महारानी के सामने रखीं। पहली शर्त थी कि ओरछा में जहां बैठ जाऊंगा, वहां से उठूंगा नहीं। दूसरी ये है कि राजा के रूप में विराजमान होने के बाद वहां पर किसी और की सत्ता नहीं चलेगी। तीसरी शर्त यह है कि खुद बाल रूप में पैदल पुष्य नक्षत्र में साधु-संतों के साथ चलेंगे।
महारानी की रसोई में हैं विराजमान
श्रीराम के ओरछा आने की खबर सुन राजा मधुकर शाह ने चतुर्भुज मंदिर का भव्य निर्माण कराया था। मंदिर को भव्य रूप दिए जाने की तैयारी के चलते महारानी कुंवरि गणेश की रसोई में भगवान को ठहराया गया था। भगवान श्रीराम की शर्त थी कि वह जहां बैठेंगे, फिर वहां से नहीं उठेंगे। यही कारण है कि उस समय बनवाए गए मंदिर में भगवान नहीं गए। वह आज भी सूना है और भगवान महारानी की रसोई में विराजमान हैं।
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श्रीराम के दो निवास
पूरे बुंदेलखंड में गूंजता है ‘राम के दो निवास खास, दिवस ओरछा रहत, शयन अयोध्या वास..’ यानी श्रीराम के दो निवास हैं, दिनभर ओरछा में रहने के बाद शयन के लिए भगवान राम अयोध्या चले जाते हैं और आज भी जन जन के आराध्य भगवान श्री राम राजा सरकार को संपूर्ण बुंदेलखंड में राजा के रूप में पूजा जा रहा है।
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