धमेंद्र यादव, ओरछा (निवाड़ी)। बुंदेलखंड की अयोध्या कहे जाने वाले धार्मिक एवं पर्यटन स्थल ओरछा में रविवार रात विवाह पंचमी के अवसर पर पिछले करीब 500 सालों से चली आ रही भगवान राम के सीता से विवाह की अद्भुत परंपरा का निर्वहन विधि विधान से किया गया। हर वर्ष की भांति इस साल भी विवाह पंचमी पर प्रसिद्ध राम राजा मंदिर से भगवान राम की बारात जनकपुरी के लिए गाजे-बाजे के साथ निकाली गई।
बारात में भगवान राम राजा सरकार अपने अनुजों के साथ सुशोभित रहे और सारे ओरछा नगर के अलावा बाहर से आए देशी विदेशी श्रद्धालुओं सहित सैलानी पूरे उत्साह से बाराती के रूप में शामिल होकर जनकपुरी की ओर रवाना हुए। जहां बारात के जनकपुरी पहुंचने पर राम-सीता का पाणिग्रहण संस्कार विधि विधान से संपन्न हुआ। वैवाहिक कार्यक्रम पूर्ण होने के बाद बारात वापस रामराजा के महल रूपी मंदिर के लिए वापसी हुई। पिछले 500 सालों से हर साल ओरछा वासी भगवान राम को मानव स्वरूप में मानकर पूरी धूमधाम से उनका विवाहोत्सव इसी प्रकार मनाते आ रहे हैं।
निवाड़ी जिले के ओरछा का रामराजा मंदिर अत्यंत प्राचीन है। यहां स्थापित मूर्ति के बारे में प्रचलित मान्यता के अनुसार ओरछा की महारानी गनेश कुंवर पुष्य नक्षत्र में इस मर्ति को अयोध्या से नंगे पैर पैदल चलकर ओरछा लाईं थी। राम की प्रतिमा ओरछा लाए जाने के बाद बुंदेलखंड में इन्हें ओरछा के राजा के रूप में मान्यता दी गई। संभवतः ओरछा के रामराजा इस मायने में भी अद्वितीय है कि इन्हें प्रतिदिन पुलिस के जवान आज भी दिन के चारों पहर गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं।
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