राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव को निरस्त कर दिया गया है. अब चुनाव नहीं होंगे. लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग ने एक और बड़ा फैसला लिया है. जिन उम्मीदवारों ने अपनी जमानत राशि पंचायत चुनाव के लिए नामांकन के साथ जमा कर दी है. उन प्रत्याशियों की जमानत राशि भी वापस होगी. पंचायत चुनाव के लिए 1.37 लाख उम्मीदवारों की नामांकन फीस वापस होगी. 2 लाख उम्मीदवारों ने 250 करोड़ रुपये खर्च किये. 6 जनवरी को प्रथम चरण के चुनाव होने थे. सरकार के पास 54 लाख 80 हजार रुपए जमा कराए गए हैं. तो चलिए अब आपको यह भी बताते हैं कि चुनाव किस आधार पर निरस्त हुए हैं. चुनाव को लेकर कब क्या हुआ ?

इस आधार पर निरस्त हुए चुनाव

विधि विशेषज्ञों ने अभिमत दिया कि जिस अध्यादेश के आधार पर चुनाव प्रक्रिया संचालित की जा रही थी, जब वो ही समाप्त हो गया तो फिर चुनाव कराने का कोई औचित्य ही नहीं बचा था. दरअसल अध्यादेश वापस लेने से वह परिसीमन पुन: लागू हो गया. जिसे निरस्त किया गया था. 1200 से ज्यादा पंचायतें पुन: अस्तित्व में आ गईं. ऐसी स्थिति में चुनाव कराया जाना संभव ही नहीं था. आयोग ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 42 में दी गई शक्ति और मध्य प्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के नियम 18 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चुनाव कार्यक्रम और इससे संबंधित सभी कार्यवाहियों को निरस्त कर दिया.

BIG BREAKING: मध्यप्रदेश में नहीं होंगे पंचायत चुनाव, राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया फैसला

कब क्या हुआ ?

  • 21 नवंबर को मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश जारी हुआ.
  • चार दिसंबर को राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया.
  • 13 दिसंबर से चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ पहले और दूसरे चरण के चुनाव के लिए नामांकन पत्र जमा करना प्रारंभ हुआ.
  • 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के लिए आरक्षित पदों को सामान्य के लिए पुन: अधिसूचित करने के आदेश दिए. राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी वर्ग के आरक्षित पदों के नामांकन पर रोक लगाई.
  • 20 दिसंबर को नामांकन पत्र जमा करने का अंतिम दिन था.
  • 23 दिसंबर को नामांकन पत्र वापस लेने की प्रक्रिया पूरी हुई और अभ्यर्थियों को प्रतीक चिह्नों का आवंटन कर दिया गया.
  • 23 दिसंबर को विधानसभा में सर्वसम्मति से ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव न कराए जाने को लेकर संकल्प पारित हुआ.
  • 26 दिसंबर को कैबिनेट ने अध्यादेश वापस लिया. राज्यपाल ने दी अनुमति.
  • 28 दिसंबर शाम को राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव निरस्त किए.

पंचायतों के इन पदों के लिए हो रहे थे चुनाव

52 जिलों में 859 जिला पंचायत सदस्य, 313 जनपदों के 6,727 जनपद पंचायत सदस्य, 22 हजार 581 सरपंच, 3 लाख 62 हजार 754 पंचों का चुनाव होना था. 114 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल मार्च 2022 के बाद पूरा होगा. इस वजह से उनके चुनाव बाद में किए जाएंगे. मध्य प्रदेश में कुल 3 करोड़ 92 लाख 51 हजार 811 मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाता 2 करोड़ 02 लाख 30 हजार 95 है. वहीं महिला मतदाता 1 करोड़ 90 लाख 20 हजार 672 हैं. अन्य मतदाता 1044 हैं. प्रदेश में 71 हजार 398 मतदान केंद्र बनाए गए थे.

एक चरण में 6 जनवरी को मतदान- इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, अलीराजपुर, दतिया, नरसिंहपुर, निवाड़ी, पन्ना और हरदा में मतदान होने थे.

दो चरण में 28 जनवरी को मतदान- जबलपुर, सिंगरौली, उमरिया, अनूपपुर, देवास, बुरहानपुर और श्योपुर.

तीन चरण में 16 फरवरी को मतदान- राजगढ़, रायसेन, सीहोर, विदिशा, खरगौन, खंडवा, धार, झाबुआ, बडवानी, गुना, शिवपुरी, अशोकनगर,  छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, कटनी, रीवा, सीधी, सतना, होशंगाबाद, बैतूल, शहडोल, भिंड, मुरैना, उज्जैन, नीमच, रतलाम, शाजापुर, आगर-मालवा, मंदसौर, सागर, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़ में मतदान होने थे.

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