इदरीश मोहम्मद, पन्ना। मध्य प्रदेश का पन्ना जिला एक सामान्य स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए मोहताज है। 11 लाख की आबादी वाला जिला हीरों और मंदिरों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। लेकिन आज भी जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए पड़ोसी जिलों पर निर्भर रहना पड़ता है। कहने के लिए तो जिले की हर तहसील में उप स्वास्थ्य केंद्र , स्वास्थ्य केंद्र और जिला मुख्यालय में जिला चिकित्सलय मौजूद है। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और दीवारों के सिवाए कुछ भी नहीं है।

मातृ- मृत्यु 2022 और 23 की समीक्षा रिपोर्ट जारी की गई। जिसमें एक साल के अंदर 37 गर्भवती महिलाओं की मौत हुई है। अब ऐसे में सवाल खड़े होते है कि सरकार ने हर तहसील ओर ग्राम पंचायत स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की है। जिनकी जिम्मेदारी इस बात के लिए सुनिश्चित की गई है कि प्रत्येक गर्भवती महिला के गर्भ धारण से लेकर उनके प्रसव तक की पूरी जांच और कमियों को दूर करना होता है। लेकिन जमीनी स्तर पर समीक्षा रिपोर्ट जब 37 मौतों का आंकड़ा प्रस्तुत करती है तो जिले में चलाई जा रही योजनाएं और व्यवस्थए झूठी साबित होती है।

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मामला और गंभीर तब हो जाता जब खुद CMHO डॉ. वीएस उपाध्याय इन आंकड़ों और जिले में हुई 37 मौतों को पूरे जिले के हिसाब से कुछ ज्यादा नहीं कह कर अपनी जिम्मेदारी निभा लेते हैं। अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब जिम्मेदार ही इस तरह की बात करेंगे तो वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कितनी ईमानदारी से करते है यह स्पष्ट समझ आ रहा है। जिस कारण से जिले में गर्भवती महिलाओं की मौतों का आंकड़ा घटने का नाम नहीं ले रहा है।

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