नीलम राज शर्मा, पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन पी- 234 लकवाग्रस्त हो जाने के बाद उसके नन्हें शावकों की मुश्किलें बढ़ गई है। बाघिन का इलाज 1 महीने से वन विहार भोपाल में चल रहा है। इसके बाद भी उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा है। दोनों शावकों पर पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम सतत निगरानी कर रही है। अब इसी निगरानी के साथ शावक खुद से ही खुले जंगल में शिकार के गुण सीखेंगे।

पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर बृजेंद्र झा ने बताया कि शावकों को दूसरी जगह शिफ्ट करके देखरेख करने पर उनका जंगलीपन चला जाएगा। इसी कारण शावकों को शिफ्ट नहीं किया जाएगा, बल्कि टाइगर रिजर्व के ही प्राकृतिक आवास में रखा जाएगा। बताया कि जंगल में रहने से शावकों को बड़े जानवरों के द्वारा हमला करने का खतरा है, लेकिन उन्हें फिजिकली सहायता मुहैया कराई जा रही है। अगर एक बार शावक सरवाइव कर गए तो रिजर्व में ही रहेंगे।

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बताया गया कि अभी शावकों के बाड़े के आसपास किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति के प्रवेश को सख्त प्रतिबंध किया गया है। बारिश का सीजन होने से हर जगह पानी है, ऐसे में पर्यटन का दबाव कम है। इससे मानसून सीजन में शावकों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। शावक करीब डेढ़ से दो साल तक अपनी मां के साथ रहकर शिकार के गुण सीखते हैं। ऐसे में इन शावकों की उम्र अभी कम है। टीम द्वारा उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया करा रही हैं।

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