इदरीश मोहम्मद, पन्ना। केंद्र और राज्य सरकार दिव्यांगजनों के लिए कई प्रकार की महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है. इतना ही नहीं दिव्यांगजनों की सुविधानुसार उन्हें ट्राई साइकिले और बैटरी से चलने वाले साइकिलों का भी वितरण सरकार जनपद पंचायतों के जरिए कर रही है. लेकिन जमीनी स्तर में अधिकारियों और कर्मचारियों लापरवाही के चलते लाखों रुपए की ट्राई साइकिले और बैटरी वाली ट्राई साइकिले जो दिव्यांगों के लिए आई हुई थी वो धूल खा रही है और बारिश में रखी-रखी कबाड़ में तब्दील हो रही है. वहीं दिव्यांग इन ट्राई साइकिलों को पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं.

तस्वीरों में दिख रही ये ट्राई साइकिले और बैटरी से चलने वाले ट्राई साइकिले किसी कबाड़ी की दुकान की नहीं, बल्कि जनपद पंचायत कार्यालय अजयगढ़ के पीछे बने कमरे की है. जहां दर्जनों की संख्या में ट्राई साइकिले रखी-रखी धूल खा रही है और कबाड़ में तब्दील हो रही है. इतना ही नहीं इन ट्राई साइकिलों की सुद लेने वाला कोई नहीं है. दिव्यांगजनों को देने के लिए यह ट्राई साइकिलों को मंगवाया गया था. लेकिन किन कारणों के चलते उन्हें यह वितरित नहीं की गई यह तो प्रशासनिक अधिकारी ही जानते है.

इस मामले में अतिरिक्त सीईओ अशोक चतुर्वेदी का कहना था कि जबलपुर की एलएमको कंपनी जिले में आ कर निकायों में सर्वे करती है कि किसको ट्राई साइकिल की आवश्यकता है और किसे बैटरी वाली साइकिल की. इस आधार पर निकायों को सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है. अजयगढ़ में भी जो ट्राई साइकिले और बैटरी वाली ट्राई साइकिले सर्वे के बाद व्यक्ति विशेष के नाम से आई थी. अब उन्हें क्यों ये वितरित नहीं की गई. इसकी जांच करवाई जाएगी.

सोचने वाली बात यह है कि जब कंपनी द्वारा व्यक्ति विशेष के नाम से इन ट्राई साइकिलों व बैटरी से चलने वाली साइकिलों को निकायों को दिया गया था तो उनका वितरण संबंधितों को क्यों नहीं किया गया. दिव्यांगजनों की हिस्से की ट्राई साइकिले रखी रखी कबाड़ में तब्दील क्यों हो रही है.

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