अजय शर्मा, भोपाल। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को बैन किए जाने के बाद पिछले कुछ अर्से में उसके द्वारा संचालित की जाने वाली गतिविधियों की जांच जारी है। मध्य प्रदेश पुलिस पीएफआई को फंड करने वालों की जांच कर रही है। खास तौर पर पुलिस को अभी तक की जांच में जो तथ्य निकलकर सामने आए हैं, वह यह कि खरगोन दंगे के बाद पीएफआई को बड़े पैमाने पर चंदा मिला है।
दरअसल, खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी की शोभायात्रा के बाद दंगे की जांच में पुलिस ने कई आरोपियों को सलाखों के पीछे जरूर पहुंचा दिया है, लेकिन इसके बाद पीएफआई की गतिविधियां अचानक से बढ़ी। दंगा पीड़ितों की मदद के नाम पर पीएफआई को इलाकों में मजबूती मिली। बड़े पैमाने पर प्रदेश के कई शहरों में पीएफआई चंदा वसूली अभियान चलाया गया। खास तौर से मालवा के कुछ इलाकों में ही 50 लाख से ऊपर पीएफआई को खरगोन दंगे के बाद चंदा मिला। लेकिन जिस वक्त यह चंदा मिला उस वक्त पीएफआई पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई नहीं की गई। इस बात की जानकारी एनआईए और एटीएस की धरपकड़ में सामने आई और यही जानकारी मध्य प्रदेश पुलिस के साथ साझा की गई है।
एटीएस ऐसे 45 लोगों की सूची बनाई हुई है जिन्होंने खरगोन दंगों के बाद पीएफआई को फंड किया। उसकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई।
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