शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश के मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट का रहना अनिवार्य किया गया है। बिना फार्मासिस्ट मेडिकल स्टोर चलाया तो 3 महीने की सजा हो सकती है। इसे लेकर फार्मेसी काउंसिल ने नोटिस जारी किया है। बिना फार्मासिस्ट के दवा बिक्री पर रोक लगाई है। मेडिकल स्टोर को निर्देश बिना प्रिस्क्रिप्शन दवा ना देने की अपील की है। गैर-पंजीकृत व्यक्ति को दवा का वितरण, बिक्री की अनुमति नहीं होगी। कमी मिली तो लाइसेंस तक निरस्त हो सकता है।

फार्मेसी काउंसिल ने लिखा- मध्यप्रदेश राज्य के समस्त चिकित्सालयों/फार्मेसी/मेडिकल स्टोर के संचालक/ फार्मासिस्ट को सूचित किया जाता है कि फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 42 में विहित प्रावधान अनुसार मेडिकल प्रेक्टिशनर के प्रेस्किप्शन पर केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा ही दवाइयां डिस्पेंस की जानी है। किसी गैर पंजीकृत व्यक्ति के द्वारा दवाइयों का डिस्पेंस/वितरण/विक्रय होना पाए जाने पर संबंधितों पर फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत कानूनी कार्यवाही की जावेगी।

आगे कहा कि, फार्मेसी काउन्सिल ऑफ इंडिया नई दिल्ली के पत्र क्रमांक-19-1 / 2023-PCI / 3854-56 दिनांक 25.10.2023 कानून व न्याय मंत्रालय (विधायी विभाग) भारत शासन असाधारण राजपत्र स. 21 भाग ॥ खंड 1 दिनांक 11 अगस्त 2023 में प्रकाशित Jan vishwas (Amendment of Provisions) Act 2023 के कम संख्या पृष्ठ संख्या 13 संशोधन क्रमांक (D) अनुसार फार्मेसी एक्ट 1948 की धारा 42 के दंड प्रावधान में संशोधन करके गैर पंजीकृत फार्मासिस्ट के द्वारा दवा डिस्पेंसिंग करते पाए जाने पर 3 माह तक की सजा अथवा दो लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों एक साथ होने का प्रावधान है। अत्यंत विषम परिस्थितियों में फार्मेसी एक्ट 1948 के प्रावधानों के तहत कौंसिल द्वारा संबंधित फार्मासिस्ट का रजिस्ट्रेशन को निरस्त भी किया जा सकता है।

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