राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। सत्ताधारी बीजेपी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। चुनाव को लेकर सत्ता और संगठन की बैठकें हो रही है। केंद्रीय मंत्रियों के दौरे भी हो रहे हैं। इसी के चलते अब लोकसभा चुनाव तक मंत्रियों के जिलों के प्रभार के मामले अटक सकते हैं। सत्ता-संगठन के चुनाव में जुटने से ऐसे आसार बने है। दो महीने बाद भी मंत्रियों को जिलों के प्रभार नहीं बंटे हैं। प्रदेश के सभी 55 जिलों की जिम्मेदारी तय होना है। प्रभार नहीं बंटने से मंत्रियों का फोकस अपने गृह जिलों पर ज्यादा है। जिन जिलों से मंत्री नहीं वहां माॅनिटरिंग में कमी है। फिलहाल कलेक्टर्स के पास प्रभारी मंत्रियों के पावर है।
प्रभारी मंत्रियों के काम
- जिला स्तर पर सरकार की योजनाओं को गति देना
- जिलों में संचालित योजनाओं की समीक्षा और माॅनिटरिंग
- जिला प्रशासन के कामों पर सीधी नजर, कसावट के दिशा-निर्देश
- जिला स्तर पर तबादलों की मंजूरी
- जिला स्तर पर लोगों की सुनवाई कर समस्याओं का निराकरण
इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता सतेंद्र जैन का कहना है कि मंत्रियों का जिला प्रभार संवैधानिक व्यवस्था नहीं है। मुख्यमंत्री का यह विशेषाधिकार है, लेकिन जल्द ही प्रभार जारी होंगे। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अविनाश बुंदेला का कहना है कि बीजेपी को चुनाव से फुरसत मिले तब तो मंत्रियों के प्रभार के बारे में सोचे। बीजेपी सिर्फ चुनावी कार्यक्रम जारी करने में लगी रहती है।
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