अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में अप्रैल के महीने में बारिश होने के कारण करीब ढाई हजार मैट्रिक टन गेहूं वेयरहाउस संचालकों और सोसायटी प्रबंधक की लापरवाही से भीग गया। यह गेहूं पंजीकृत किसानों से खरीदा गया था।जिनका भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। वहीं खाद्य विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है।

जिला प्रशासन द्वारा पहले नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से खरीदी कराई जाती थी। इसके बाद खाद्य आपूर्ति विभाग पिछले साल से खरीदी कर रहा है। जिले में गेहूं खरीदी के लिए 182 केंद्र बनाए गए है। जहां वेयरहाउस में कृषक सेवा सहकारी संस्थाएं खरीदी कार्य कर रही है। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद कई वेयरहाउस पर तुलकर रखा गेहूं भीग गया। अमूनन यह कहानी सारे जिले की है। जहां गेहूं को ढकने के पर्याप्त साधन नहीं रखे गए थे। लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रशासन की नाक के नीचे कई ऐसे वेयरहाउस भी हैं। जहां खरीदी सेंटर स्वीकृत ही नहीं हुए, वहां हजारों-क्विंटल गेहूं तोल लिया गया है। जिसमें से कुछ तो वेयरहाउस में रखा गया, बाकी बारिश में भीग गया। भीगे गेहूं को जेसीबी मशीन से फैलाने और वेयरहाउस के अंदर रखने की भी तस्वीरे सामने आई। सवाल यह है कि जब ऐसे वेयरहाउस को खरीदी की अनुमति नहीं थी, फिर किसके आदेश-निर्देश पर यह खरीदी की गई। सवाल यह भी है कि इनको किनका सरक्षण प्राप्त था?

अब एक और तथ्य यह भी है कि जिन वेयरहाउस में बगैर अनुमति गेहूं खरीदी की गई। वहां पानी गिरने से नुकसान की कुछ मीडिया की खबर प्रकाशित होने पर प्रज्ञा वेयरहाउस में तुलाई बंद रखी है। जबकि जांच में खाद्य निरीक्षक संदीप भार्गव, एसडीएम, तहसीलदार ने प्रज्ञा वेयरहाउस पर किसी भी तरह का नुकसान होना नहीं बताया और अनाज भी ढका हुआ बताया गया। लेकिन मीडिया के कारण तोल रोक दी गई है। प्रज्ञा वेयरहाउस पर ही क्यों? 1 महीने बाद ब्लैक लिस्टेड की कार्रवाई की गई। बाकी राजनीतिक दल के नेताओं के वेयरहाउस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जहां पर हजारों-क्विंटल अनाज गीला हुआ है।

बता दें कि जिले में 182 समर्थन मूल्य खरीदी केंद्र बनने थे। इसके बाद नई अनुमतियां पूर्णतः बंद कर दी गई, लेकिन इसके बाद 19 अप्रैल को 5 और वेयरहाउस को गेहूं खरीदी के लिए अनुमति खाद्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से जारी की गई। खाद्य निरीक्षक संदीप भार्गव पर मोटी रकम लेकर अनुमति दिलाने के आरोप लग रहे हैं। तेजस्व वेयर ग्राम में सेवासिनी 10,000 क्विंटल गेहूं खरीद लिया था, जिसमें से 2000 क्विंटल गेहूं खराब हो गया। जिसको जेसीबी से हटाया गया। वहीं अन्य एस वेयरहाउस, एमएस वेयरहाउस, प्रेम वेयरहाउस भी पर में खरीदी कर ली और बाद में वेयरहाउस का मोटी रकम लेकर खरीदी केंद्र बनाए गए। जिसकी जांच होना चाहिए संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई की जाना चाहिए।

सिंगरौली वेयरहाउस पर 500 क्विंटल गेहूं बाहर सड़ रहा है। बदामी का वेयर मानपुर 500 क्विंटल गेहूं सड़ गया और भी राजनीतिक लोगों के वेयरहाउस हैं। उन्होंने पूर्व में ही खरीदी कर ली थी, जिन्होंने किसानों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं किया उन वेयरहाउस में भी अनाज सड़ रहा था। लेकिन प्रशासन और खाद्य विभाग के अधिकारी आंख बंद कर देखते रहे। किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई। सरकार और प्रशासन के नियमों को धज्जियां उड़ाकर राजनीतिक लोग अब गेहूं वेयराहॉउस के अंदर तुलाई रहे थे, जबकि शासकीय निर्देश है कि गेहूं बाहर तुलकर, फिर वेयरहाउस में रखा जाए।

अब सवाल यह है कि 182 खरीदी सेंटर बनने के बाद इनकी सतत निगरानी क्यों नहीं की गई। जिम्मेदार अधिकारी दफ्तर में बैठकर क्यों आंखे बंद किए रहे। जबकि पिछले साल भी पानी गिरा था और हजारों क्विंटल गेहूं भीग गया था। जब शासन के 182 वेयर हाउस पर खरीदी केंद्र बन चुके थे, फिर 5 और वेयरहाउस 19 अप्रैल को किस आदेश निर्देश पर केंद्र बनाए गए। इसके अलावा 5 और खरीदी केंद्र बनाने के लिए खाद्य विभाग ने अनुमति मांग है।

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