अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्य प्रदेश में वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण का खेल जारी है। ताजा मामला रायसेन जिले से सामने आया है। जहां भू-माफिया ग्रामीण क्षेत्रों से लगे विभाग की जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं। विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से अतिक्रमण करना बताया जा रहा है। वहीं जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।
दरअसल, यह मामला खरबई बीट के ग्राम हिरणखेड़ा का है। जहां कर्मचारियों की मिलीभगत से अतिक्रमणकारी जंगल बीच खेत बनाकर गेहूं की खेती कर रहे हैं। ऐसे में वन भूमि कम होती जा रही है। यह जानकारी विभाग के अधिकारियों को भी है, लेकिन कब्जाधारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। जंगल की जमीन को कौन मुक्त कराएगा यह भी एक बड़ा सवाल है।
वन विभाग की सुस्त रणनीति का मुख्य कारण है कि प्रशासन और सरकार इस पर पूर्णता मोन बनी हुई है और भू-माफिया पर ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण वे और विभाग के कर्मचारी अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे है। इस मामले में डीएफओ विजय कुमार कहना है कि आदिवासी जगलों में सागौन के बड़े-बड़े पेड़ के बाद नीचे अतिक्रमण कर रिजर्व फॉरेस्ट की भूमि पर कैसे फसल बोई जा रही है। उनका साफ कहना है कि कि यह सब पहले से किए कब्जे हैं, अभी वर्तमान में कोई कब्जा नहीं हुआ है। अब सवाल खड़ा है कि जब विभाग के जिम्मेदार ही लिपापोती करने में लगे हैं और निचला कर्मचारी भू माफिया से रकम लेकर अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं ?
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जंगलों को बीच अतिक्रमण से रिहायशी इलाकों में टाइगर-तेंदूए की चहलकदमी ?
इन दोनों शहर की सड़क, गार्डन, खेतों और रिहायशी इलाकों में टाइगर-तेंदूए चहलकदमी बढ़ गई है। रायसेन वन मंडल में बाघों का कुनबा बढ़कर 15 और तेंदुए का 70 हो गया है, लेकिन इनके लिए लगातार जंगल कम हो रहे हैं। वन विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रायसेन के आसपास वन मंडल में 2015 में 22 वर्ग किमी हरियाली थी। जो बढ़कर 23 वर्ग किमी हो गई है, जबकि मध्यम घने वन और खुले वन क्षेत्र में हरियाली कम हो गई है। यहां 1331 वर्ग किमी से घटकर 1308 वर्ग किमी और 1377 वर्ग किमी से 1346 वर्ग किमी हरियाली रह गई है।
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