अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में वन विभाग की टीम ने प्रोटोकॉल तोड़ दिया। दरअसल, बाघ को रेस्क्यू करने के बाद फॉलो वाहन के नहीं आया। करीब 15 किलोमीटर तक बाघ को बिना फॉलो वाहन के लाया गया। जब वाहन शहर के एक दरगाह के पास से पहुंची तो फॉलो वाहन आया। जिसके बाद बाघ को जंगल की ओर ले जाया गया।

दरअसल, जिला मुख्यालय के आसपास पिछले कई दिनों से टाइगर का मूवमेंट बना हुआ था। 20 दिन से टाइगर को रेस्क्यू करने के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, पन्ना टाइगर रिजर्व से 40 लोगों का एक दल आया हुआ था, जिसमें पांच हाथी भी शामिल थे। जो कि टाइगर को पकड़ने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था। आखिकार रेस्क्यू टीम ने गुरुवार को टाइगर को पकड़ने में कामयाबी मिली। इस टाइगर का नाम रॉयल टाइगर है, जो कि दिसंबर माह से रायसेन जिला मुख्यालय के आसपास देखा जा रहा था।

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पिछले कुछ दिन पहले इसी टाइगर ने नीमखेड़ा गांव में एक तेंदूपत्ता तोड़ने गए एक व्यक्ति पर भी हमला कर दिया था। जिससे उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद रायसेन वन मंडल के करीब 100 वनकर्मी अलग-अलग दल बनाकर लगातार इस बाघ के मूवमेंट पर नजर रख रहे थे। डीएफओ विजय कुमार ने बताया कि यह बाघ आदमखोर नहीं था। बाघों की गणना के आकड़ों के अनुसार, जिले में 70 से अधिक बाघ हैं और इनका आसपास के जंगलों में सालों से विचरण है। लेकिन रायसेन में मौजूद कोई भी टाइगर नरभक्षी नहीं है।

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आज जिस बाघ का रेस्क्यू किया गया है, वह यहां का लोकल बाघ नहीं था। यह भटकता हुआ महू की जंगलों से रायसेन आ गया था। इस कारण इसका व्यवहार भी रायसेन जिले के बाघों से अलग था। वह कम आयु में अपनी मां से बिछड़ने ले कारण ठीक से शिकार नहीं कर पाता था। रहवासी कॉलोनी में टाइगर के रेस्क्यू के बाद अब दहशत खत्म हो गई है और लोगों ने राहत की सांस ली है।

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