अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्य प्रदेश के रायसेन की बेटी वंदना ने स्व सहायता समूह और नमो ड्रोन योजना की मदद से जीवन में बदलाव किया है। वंदना ने आर्थिक उन्नति के साथ समाज में मान-सम्मान भी बढ़ा और वंदना को अब ड्रोन वाली दीदी (Drone Didi) के नाम से जाना जाता है। वंदना केवट को नई दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए बुलावा भी आया है।
ड्राेन वाली दीदी
रायसेन जिले की सिलवानी जनपद के ग्राम भानपुर निवासी वंदना केवट स्व सहायता समूह और नमो ड्रोन योजना की मदद से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार कर रही हैं। वंदना अब क्षेत्र में ड्रोन वाली दीदी के नाम से जानी जाती हैं। उन्हें नई दिल्ली में 15 अगस्त को आयोजित होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया है, जिससे वह और उनका परिवार बेहद खुश है। वो पीएम मोदी और सीएम मोहन यादव को धन्यवाद देते हुए कहा कि स्व सहायता समूह और नमो ड्रोन योजना की मदद से उनके जीवन में बदलाव आया है। वह आर्थिक रूप से सक्षम हुईं हैं और समाज में भी मान-सम्मान बढ़ा है।
स्व सहायता समूह से जुड़ने के बाद बदली जिंदगी
वंदना ने बताया कि स्व सहायता समूह से जुड़ने से पहले उनका परिवार आर्थिक तंगी में जीवन यापन कर रहा था। उनके पास कहने को 7 एकड़ जमीन है, लेकिन ट्यूबवेल नहीं होने के कारण वह एक ही फसल ले पाती थी और इतनी आमदानी भी नहीं हो पाती थी कि सालभर का गुजारा हो जाए। स्व सहायता समूह से जुड़ने के बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई। उन्होंने लक्ष्मी स्व सहायता समूह बनाया और अन्य महिलाओं को भी इस समूह से जोड़ा। इसके बाद उन्होंने ऋण लेकर खेत में ट्यूबवेल कराया और दो फसल लेना शुरू किया। इससे खेती में लाभ होने लगा और ऋण की किस्त भी जमा होने लगी।
ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव
इसके अलावा उन्होंने ऋण लेकर घर में ही किराना दुकान भी खोली है। वंदना ने समूह से जुड़ने के बाद BSW किया और कृषि से स्नातक की पढ़ाई भी की। वंदना से ड्रोन वाली दीदी बनने तक के सफर के बारे में उन्होंने बताया कि नमो ड्रोन योजना में चयनित होने के बाद उन्हें ग्वालियर में ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद उन्हें इसी साल मार्च महीने में योजना के तहत निःशुल्क ड्रोन दिया गया। कंपनी से आए इंजीनियर ने भी उन्हें ड्रोन चलाने का पूरा प्रशिक्षण दिया। जिसके बाद वह खेतों में ड्रोन से कीटनाशकों का छिड़काव करने लगी। वंदना ने मार्च से अभी तक 35 से ज्यादा किसानों के खेत में ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव किया है।
30 हजार रुपए से ज्यादा की आय
किसान भाईयों को एक एकड़ में कीटनाशक छिड़काव में लगभग डेढ़ से दो घंटे लगते हैं, इस काम को वह ड्रोन के माध्यम से 10 से 15 मिनिट में कर देती हैं। इससे किसान के समय की भी बचत होती है। उन्होंने बताया कि अभी तक वह 30 हजार रुपए से ज्यादा की आय हो चुकी है। अगर किसी किसान को फसल में कीटनाशक का छिड़काव ड्रोन से करवाना होता है तो पहले उसे पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बाद वह निर्धारित दिन किसान के खेत में पहुंचकर ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव कर देती हैं। वो कहती हैं कि नमो ड्रोन योजना से जुड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार हुआ है और परिवार के जीवन स्तर में भी बदलाव आया है।
ड्रोन स्प्रे कराया गया उपलब्ध
विवाह के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई निरंतर जारी रखी और हायर सेकंडरी पास की। इसके बाद वह महिला स्व सहायता समूह से जुड़ गई और लक्ष्मी स्व सहायता समूह बनाया और आर्थिक गतिविधियां प्रारंभ की। उनके सभी कार्यों में पति महेंद्र केवट जो की हाई स्कूल परीक्षा पास हैं, हमेशा ही कंधे से कंधा लगाकर साथ दिया। वंदना ने बताया कि इस ड्रोन से इफ्को कंपनी के नैनो यूरिया, नैनो डीएपी का स्प्रे किसानों के खेत में किया जाता है। किसान विदेशी उत्पाद दवाइयों का ज्यादा छिड़काव कर रहे गई, जिससे जमीन बंजर होती जा रही है, सरकार स्वदेशी उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए ही ड्रोन स्प्रे उपलब्ध कराया गया है। ड्रोन स्प्रे के साथ ई-ऑटो भी है, जो कि एक बार चार्ज होने पर 150 किमी चलता है। वही ऑटो जनरेटर की व्यवस्था भी जिससे पुन चार्ज करके कार्य पूरा किया जा सकता है।
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