अनिल सक्सेना, रायसेन। देश के अलग-अलग हिस्सों में होली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। कहीं फूलों से तो कहीं रंगों से होली खेली जाती है। लेकिन आपने कभी अंगारों पर चलकर होली खेलने के बारे में सुना है। इस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन रायसेन जिले के सिलवानी में अनोखे तरीके से होली का त्योहार मनाया जाता है। जहां होलिका दहन के बाद लोग आग के शोलों में नंगे पांव चलते हैं। ये अनोखी परंपरा कई सालों से चलती आ रही है। आस्था या अंधविश्वास है कि धड़कते अंगारों में नंगे पांव चलने से प्राकृतिक आपदाएं और बीमारियों से दूर हो जाती है।
जिले के सिलवानी तहसील में स्थित ग्राम चंद्रपुरा और महगवा में अनोखे तरीके से होली का त्योहार मनाया जाता है। आग के शोलों में नंगे पैर चलने की परंपरा चंद्रपुरा में करीब 15 सालों से चली आ रही है, जबकि मेंहगवा में करीब 500 सालों से यह परंपरा चली आ रही है। होली का त्योहार परंपराओं का समागम है। लोगों का मानना है कि इससे ग्रामीण प्राकृतिक आपदाएं और बीमारियों से दूर रहते हैं। आस्था और श्रद्धा के कारण ग्रामीण धधकते हुए अंगारों के बीच से नंगे पैर चलते हैं। लोगों का मानना है कि इससे ग्रामीण प्राकृतिक आपदाएं और बीमारियों से दूर रहते हैं।
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आस्था और श्रद्धा के कारण ग्रामीण धड़कते हुए अंगारों के बीच से नंगे पैर चलते हैं। ग्रामीणों की आस्था का आलम यह है कि बच्चों से लेकर महिलाएं, बुजुर्ग तक अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं। खास बात यह है कि अंगारों पर चलने के बाद उनके पैर नहीं जलते और न ही किसी ग्रामीण को कोई परेशानी होती है। सभी ग्रामीण बारी-बारी से आग पर चलते हैं। ग्राम महगवा में 100 से अधिक मकान है और वर्तमान आबादी करीब एक हजार है। वहां हर साल होलिका दहन के बाद सभी ग्रामीण धड़कते अंगारों के बीच से नंगे पैर निकलते हैं।
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