सुशील खरे,रतलाम। कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर बजाई गई ताली और थाली की फिर ताजा हो गई. अगली लहर से पहले ताली व थाली तो फिर बजी, लेकिन इस बार उद्देश्य कोरोना को भगाने के लिए, लोगों को प्रत्साहित करने के लिए नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश सरकार को जगाने के लिए है. संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने हड़ताल के दौरान ताली थाड़ी जाकर विरोध जताया. उन्हें मिले प्रोत्साहन पत्र भी सरकार को वापस लौटा दिए. अब इन्हीं मांगों को लेकर दुधमुंहे बच्चों के साथ उनकी मां हड़ताल पर हैं.

दरअसल मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत 32 हजार संविदा कर्मचारियों सहित रतलाम जिले के 582 संविदा अधिकारी-कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हड़ताल शनिवार को ग्यारहवें दिन भी जारी रही. अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन का अनूठा तरीका अपनाया. उन्होंने उनकी मांगों की अनदेखी कर रही प्रदेश की शिवराज सरकार को जगाने के लिए थाली और ताली बजाई. जिनमें छोटे बच्चे जमीन पर बैठे साथ देते रहे.

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विरोध प्रदर्शन के दौरान संविदा स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचारियों के साथ उनके नन्हें-मुन्ने बच्चे भी मौजूद रहे. अपने माता-पिता को इस तरह ताली-थाली बजाते देख बच्चों ने भी साथ दिया. इस दौरान आंदोलनरत कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की. सरकार को जगाना है, अपने अधिकार मनवाना है के नारे लगाए गए.

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आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बताया कि कोरोना काल में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना उत्कृष्ट कार्य किया था. इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें कोरोना योद्धा बताते हुए प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया था. जिससे वे उत्साहित हुए थे. अब सरकार उनके अधिकारों की अनदेखी कर मांगों को नहीं मान रही है.

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