धर्मेंद्र यादव, निवाड़ी। ओरछा को मध्य प्रदेश की अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है। आज सोमवार से यहां राम जानकी विवाह महोत्सव की शुरुआत हो गई है। इस शादी के लिए लोगों में इतना उत्साह है कि बाकायदा डिजिटल कार्ड तैयार किया गया है। आमतौर पर होने वाली शादियों की तरह ही इसका निमंत्रण हर किसी को भेजा जा रहा है।
12 ज्योतिर्लिंग और अयोध्या सहित देशभर के प्रमुख मठ-मंदिरों तक पहुंचाएंगे निमंत्रण
दरअसल, ओरछा में 450 वर्षों की परंपरा के अनुसार विवाह पंचमी के उपलक्ष्य में श्रीराम-जानकी का विवाह उत्सव मनाया जाएगा। 5 दिसंबर से विवाह की प्रमुख रस्में शुरू हो जाएंगी। मंदिर समिति ने 12 सौ निमंत्रण पत्र छपवाए हैं। इन्हें विशिष्ट अधिकारी हाथो-हाथ चारों तीर्थ, 12 ज्योतिर्लिंग और अयोध्या सहित देशभर के प्रमुख मठ-मंदिरों तक पहुंचाएंगे। विवाह अवध और मिथिला की परंपरा से अलग बुंदेली रीति-रिवाज से होगा। श्रीराम-जानकी विवाह महोत्सव तीन दिन तक होगा। पहले दिन 5 दिसंबर को हल्दी और मंडप, 6 को भगवान की राजसी ठाट से बारात और 7 की सुबह कुंवर कलेवा के साथ महोत्सव का समापन होगा।
डिजिटल तैयार किया गया है कार्ड
बता दें कि हर जगह श्रीराम-जानकी के इस विवाह की चर्चा हो रही है। इसकी ख़ूबसूरती देख कर लोग इस शादी में शामिल होने को बेहद उत्सुक हैं। इस कार्ड को नए जमाने की तरह डिजिटल प्रारूप में तैयार किया गया है। इसके पहले स्लाइड में श्रीराम और जानकी की तस्वीर लगी है। नीचे एक श्लोक लिखा हुआ है। अगले स्लाइड में कार्यक्रम की पूरी जानकारी दी गई है। अंतिम स्लाइड में कुछ श्लोकों के साथ धन्यवाद लिखा हुआ है।
इस तरह मनाया जाता है कार्यक्रम
बुंदेलखंड की अयोध्या के नाम से मशहूर ओरछा में यह महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं। इस दिन नगर में घर-घर जाकर मंगल गायन के साथ तिलक किया जाता है। मंडप के नीचे छोटा सा भोज आयोजित किया जाता है। हजारों की संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु एक दूसरे को हल्दी लगाते हैं और नाचते-गाते राम-जानकी के विवाह की रस्में का आनंद लेते हैं। रात्रि आठ बजे भगवान श्री रामराजा सरकार की बारात मंदिर से निकलती है।
मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ था विवाह
बारात में धर्म ध्वजा, विद्युत सजावट के साथ धार्मिक कीर्तन मंडली, राम धुन के साथ चलती है। नगर के हर द्वार पर दूल्हा बने राजाराम का पारंपरिक बुंदेली वैवाहिक मंगल गीत गायन करते तिलक किया जाता है। बता दें कि भगवान राम और सीता माता का विवाह मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ था। इस दिन को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है।
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