रायपुर. विश्व नारियल दिवस  प्रत्येक वर्ष 2 सितंबर को मनाया जाता है. नारियल दिवस के दिन नारियल से बनी विभिन्न वस्तुओं की प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं. नारियल एक ऐसा फल है, जिसके प्रत्येक भाग का हम तरह-तरह से उपयोग करते हैं. नारियल दिवस नारियल की महत्ता को रेखांकित करता है. यह मिल-बैठकर यह पता लगाने का दिवस है कि किस प्रकार से हम इसे और उपयोग में ला सकते हैं. आजकल हमारा देश पॉलिथीन के कहर से गुजर रहा है, जो सड़ता नहीं है और नालों, रेल पटरियों तथा सड़क के किनारों को गंदा एवं प्रदूषित कर देता है. पॉलिथीन को हटाकर हम नारियल की जटा से बने थैलों का उपयोग कर सकते हैं. नारियल हर तरह से हमारे लिए उपयोगी है.

राजधानी रायपुर में विश्व नारियल दिवस पर कृषि विश्वविद्यालय में हो रहा संगोष्टी का आयोजन. सांसद रमेश बैस और कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने शुभारंभ किया. इस दौरान वहां नारियल के उत्पादों से संबंधित स्टॉल लगाए गए है. कार्यक्रम के दौरान नारियल के पैदावार को लेकर संगोष्ठी में दिनभर चर्चाएं आयोजित है. वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे लेकिन एयरपोर्ट पर तकनीकी दिक्कतों के कारण उनका दौरा रद्द हो गया. कार्यक्रम में  रमेश बैस ने कहा, आज नारियल दिवस माना रहे है. बड़ा कार्यक्रम रायपुर में हो रहा है. केरल तमिलनाडु जहा नारियल का उत्पादन होता है वहां का स्टॉल लगाया गया है. वहां के किसान यहां आए है और छग में इसका पैदावार किस तरह से हो उस पर दिनभर चर्चा होगी. किसानों से भी सुझाव लिए जाएंगे.


वहीं बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, इस मौके पर सभी किसान अधिकारी नारियल पैदा करने वाले राज्यो को बधाई देते है. छग का सौभाग्य है कि देशभर का बड़ा कार्यक्रम छग में हो रहा है. इस कार्यक्रम से नारियल पैदा करने वालो की आय कैसे बढ़ सकती है. उन्हें कैसे सक्षम बनाया जा सकता है इसके ऊपर दिनभर चर्चा होगी. यह छग के लिए भी बहुत उपयोगी होगा.

नारियल की उपयोगिता

नारियल की खेती देश में लगभग एक करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करती है. देश के चार दक्षिणी प्रदेश केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में नारियल की सघन खेती की जाती है. देश का 90 प्रतिशत तक नारियल यहीं से प्राप्त किया जाता है. यह नमकीन मिट्टी में समुद्र के किनारे उगाया जाता है. यह नारियल-पानी पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्द्धक होता है. गर्मी के मौसम में नारियल-पानी पीकर हम अपनी प्यास बुझाते हैं. जब नारियल पकता है, तो इसमें अंदर से सफेद नारियल का फल प्राप्त होता है. यह पूजा में काम आता है. सफेद नारियल हम कच्चा भी खाते हैं, मिठाई और कई पकवान बनाने में भी इस्तेमाल करते हैं. नारियल के रेशों से गद्दे, थैले तथा और भी कई प्रकार की उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं. नारियल को विभिन्न प्रकार से उपयोग कर हम भिन्न-भिन्न वस्तुएं बनाते हैं और देश के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों में इनका व्यापार भी करते हैं. इससे बनी वस्तुओं के निर्यात से हमारे देश को लगभग 470 करोड़ रुपए की राष्ट्रीय आमदनी होती है. नारियल का उपयोग धार्मिक कर्मकांडों में भी किया जाता हैं. भारत में इस लिए यह पवित्र माना गया है.