रायपुर। बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने बलरामपुर ज़िले के रामचंद्रपुर इलाक़े में पिछले चार महीने में विशेष संरक्षित पंडो जनजाति के 20 लोगों की मौत पर दु:ख जताया है. उन्होंने इन मौतों के लिए प्रदेश सरकार के आदिवासी-विरोधी चरित्र पर तीखा हमला बोला है. नेताम ने कहा कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति के लोगों की लगातार मौतों के बाद भी ख़ामोश बैठी प्रदेश सरकार ने अपने निकम्मेपन और संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दी हैं.

सांसद रामविचार नेताम ने कहा कि प्रदेशभर को झकझोर देने वाली इन मौतों से यह एकदम साफ़ हो चला है कि प्रदेश सरकार आदिवासियों और ख़ासकर पंडों जनजाति की सुरक्षा और उत्थान के नाम पर केवल सियासी ढोल पीटने के अलावा कुछ भी नहीं कर रही है. प्रदेश में पौने तीन साल के कांग्रेस शासनकाल में आदिवासियों के साथ हर स्तर पर छल, मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना और आर्थिक शोषण ही हुआ है. न तो उनकी समस्याएँ दूर करने में इस नाकारा प्रदेश सरकार ने कोई रुचि ली है, न सुरक्षित व सम्मानपूर्वक जीवन जीने का कोई अवसर बाकी रखा और न ही इन लोगों की आर्थिक दशा में सुधार लाने की कोई नीतिगत योजना ज़मीन पर नज़र आई है.

रामविचार नेताम ने सवाल करते हुए प्रदेश सरकार से इस बात का ज़वाब मांगा है कि पंडो जनजाति के संरक्षण और कल्याण के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं के बावज़ूद इन आदिवासियों की दशा में कोई गुणात्मक सुधार क्यों परिलक्षित नहीं हुआ ? पंडो जनजाति के लिए बने विकास अभिकरण के ज़रिए करोड़ों रुपए खर्च करके भी पंडो जनजाति के लोगों की लगातार मौतों के बावज़ूद इस प्रदेश सरकार की संवेदनाएँ क्यों मृतप्राय नज़र आ रही है ?

भाजपा अजजा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद नेताम ने कहा कि एक सभ्य समाज का एक बड़ा वर्ग आज भी जीवन की अपनी बुनियादी ज़रूरतों के लिए संघर्ष की पराकाष्ठा कर अपनी जान तक दाँव पर लगाने को मज़बूर है, तो यह प्रदेश सरकार के लिए कलंक है. बड़ी-बड़ी डींगें हांकते और सियासी नौटंकियाँ करते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को यह क्यों नज़र नहीं आ रहा है कि विशेष संरक्षित पंडो जनजाति के लोग आज भी अशिक्षा, ग़रीबी, अंधविश्वास और कुपोषण से जूझ रहे हैं और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ तक मुहैया नहीं हैं.

रामविचार नेताम ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कुर्सी की लड़ाई में मशगूल मंत्री सिंहदेव को भी अपने गृह संभाग में पंडो जनजाति की दुर्दशा की भी कोई फ़िक्र तक नहीं रही. उन्होंने यह जानने की ज़हमत तक नहीं उठाई कि सिस्टम के फेल्योर के चलते कल्याणकारी योजनाओं की पहुँच इन आदिवासियों तक नहीं है. नेताम ने कहा कि जो प्रदेश सरकार सुपोषण के नाम पर बड़े-बड़े दावे कर रही है, उसे इस बात पर शर्म महसूस होनी चाहिए कि इन आदिवासियों के पास एक रुपए किलो चावल का कार्ड तक नहीं है, और कई परिवारों के राशनकार्ड तो परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने लिए गए उधार के कारण गिरवी रखे हुए हैं जबकि इन आदिवासियों का परिवार जैसे-तैसे राशन का जुगाड़ कर और कंद-मूल खाकर पेट भर रहा है.

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