दिनेश शर्मा,सागर। मप्र सरकार एक ओर जहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर अपराधों पर लगाम लगाने की बात कर रही है, तो दूसरी ओर सागर जिले में सैकड़ों अपराधी खुलेआम सड़कों पर घूम रहे हैं. यह वे गंभीर वारदातों के अपराधी हैं जिन्हें हत्या, बालात्कार जैसे गंभीर मामले में सजा हो चुकी है. 15 कैदी जेल से पैरोल पर रिहा हुए थे, लेकिन पैरोल खत्म होने के 10 साल बाद भी वापस जेल नहीं आए हैं.
इन अपराधियों को खोजने के लिए सालों से जेल प्रबंधन के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. इन अपराधियों के वापिस न आने पर जेल प्रबंधन द्वारा खाना पूर्ति के लिए महज संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज कराई गई, अन्य कोई कदम नहीं उठाए गए हैं. जिससे अपराधी अब तक फरार चल रहे हैं.
दरअसल सागर केंद्रीय जेल से वर्ष 2011 से आज तक हत्या और दुष्कर्म की सजा काट रहे 15 कैदी ऐसे हैं, जो पैरोल पर जाने के बाद वापिस जेल नहीं लौटे है. ये अपराधी अन्य अपराधों में भी संलिप्त हो सकते है, लेकिन इसकी सूचना पुलिस के पास नहीं है.
सागर केंद्रीय जेल के अधीक्षक राकेश भंगारे से बात की, तो उन्होंने बताया कि सागर जेल से 2011 से अभी तक 15 हत्या के आरोपी पैरोल पर जाने के बाद वापिस नहीं आए. जिनकी संबंधित थानों में शिकायत दर्ज करा दी है.
इस मामले एडिशनल एसपी विक्रम कुशवाहा ने बताया कि पैरोल पर गए कैदी को खोजने के लिए जेल विभाग और पुलिस का विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जल्द ही पैरोल पर गए कैदियों को खोज लिया जाएगा और वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.
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