दिनेश शर्मा, सागर। सागर जिले के सुरखी में वन विभाग द्वारा पीएम आवास योजना के तहत बने दलितों के मकानों को तोड़ने पर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह आज पीड़ितों से मिलने पहुंचे और जमीन में बैठकर उनके साथ चर्चा की। साथ ही मौके पर ही अफसरों को बुलाकर फटकार लगाई। इस दौरान दिग्विजय सिंह ने मंत्री गोविंद सिंह पर गरीबों के मकानों को तुड़वाने का आरोप लगाया है।
दरअसल, सुरखी विधानसभा क्षेत्र के रैपुरा गांव में करीब 16 दलित और आदिवासी समाज के मकानों पर वन विभाग की टीम ने बुलडोजर चला दिया है। कार्रवाई की जानकारी जैसे ही मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लगी, तो उन्होंने ट्वीट कर इस कार्रवाई का विरोध किया। साथ ही आज पीड़ितों से मिलने भी पहुंचे और उनकी पीड़ा सुनी।
वहीं दिग्विजय सिंह ने मीडिया से चर्चा में कहा कि पीएम आवास जिनके निर्देश पर तोड़े गए हैं। उन पर अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। उन्होंने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर निशाना साधते हुए कहा कि मंत्री के निर्देश पर कारवाई हुई है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि पीएम आवास योजना के मकान तोड़ना पीएम मोदी के मुंह पर तमाचा मरने जैसा काम किया गया है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही बरसात में इनके रुकने ठहरने के प्रबंध होने चाहिए।
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सामान नहीं निकाल पाए और तोड़ दिए गए मकान
वहीं पीड़ितों ने बताया कि पिछले 50 सालों से वो निवास कर रहे हैं। प्रशासन ने आनन फानन में मकान तोड़ दिए। घर ग्रहस्थी का सामान भी नहीं निकाल पाए। सभ कुछ नष्ट हो गया। नोटिस पर फर्जी हस्ताक्षर पाए गए।
अफसर नहीं दे पाए जवाब
दिग्विजय सिंह ने मौके पर अफसरों को बुलाया। जमीन पर पीड़ितों के बीच अफसरों की क्लास लगाई। इनमें प्रभारी कलेक्टर चंद्र शेखर शुक्ला, एसपी अभिषेक तिवारी और डीएफओ महेंद्र प्रताप सिंह आदि शामिल थे। दिग्विजय सिंह ने पीड़ितों के रहने खाने पीने की बात की और दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस दौरान अफसर जवाब नहीं दे पाए।
दिग्विजय सिंह के आरोपों पर राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का भी बयान सामने आया है। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि आज मैंने सुबह दिग्विजय सिंह जी का ट्वीट देखा उन्होंने कहा सुरखी विधानसभा क्षेत्र के कुछ मकान तोड़े गए हैं, जो कि दलितों के हैं। मैंने कलेक्टर से बात की, वन विभाग के अधिकारियों से बात की। डीएफओ से बात की तो डीएफओ ने बताया कि वह वन विभाग की जगह थी, इसलिए अतिक्रमण हटाया गया है। मैंने कहा, उनका सही नाप किया जाए फिर से देखा जाए। अगर उनके पास जगह नहीं है, तो उनको पट्टे दिए जाएं।
इस मामले को लेकर दक्षिण वन मंडल के डीएफओ महेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि वन विभाग की भूमि से अतिक्रमण हटाया गया है। करीब एक वर्ष से अतिक्रमण हटाने की प्रकिया चल रही थी। इन लोगों के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम 27 पी धारा भी दर्ज किया गया था। कई बार नोटिस दिए गए थे। फिर भी अतिक्रमण नहीं हटाने पर यह कार्रवाई की गई।
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