दिनेश शर्मा,सागर। आज देश में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो एक समय में देश का नाम रोशन किए, काफी नाम कमाए. लेकिन आज वो बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर है. आज हम आपको ऐसे ही शख्स के बारे बताने जा रहे हैं. जो एक समय में भोपाल की विश्व प्रसिद्ध टीम का भी हिस्सा बने और न्यूजीलैंड, हालैंड जैसी विश्व स्तरीय टीमों के खिलाफ उन्होंने भोपाल टीम से भी खेला है, लेकिन आज वो बदहाल जिंदगी जीने में मजबूर है. जी हां हम बात कर रहे है हाॅकी के जाने माने खिलाड़ी टेकचंद यादव की जो, आज टूटी-फूटी झोपड़ी में रहकर जिंदगी जैसे-तैसे गुजार रहे हैं. पत्नी और बेटी की मौत के बाद उनका ध्यान रखने वाला कोई नहीं है. एक सामाजिक संस्था से दो वक्त की रोटी इन्हें मिलता है, जिससे टेकचंद यादव की जिंदगी चल रही है.

मध्यप्रदेश के सागर जिले में 9 दिसंबर 1940 को टेकचंद यादव का जन्म हुआ. हाकी खिलाड़ी 82 वर्षीय टेकचंद यादव टूटी-फूटी झोपड़ी में जिंदगी गुजार रहे हैं. टेकचंद हाकी के जादूगर ध्यानचंद के शिष्य और हाकी खिलाड़ी के साथ-साथ रेफरी मोहरसिंह के गुरु हैं. 1961 में उन्होंने भोपाल-11 टीम से हिस्सा लेते हुए प्रदर्शन मैच में न्यूजीलैंड और हालैंड की टीम को कड़ी टक्कर दी थी. जिसके बाद दोनों ही टीमों के बीच मैच ड्रा हो गया था.

मेजर ध्यानचंद टिप्स

टेकचंद यादव ने बताया कि स्कूल के समय सभी बच्चे हाकी खेलते थे. तभी से उन्होंने हाकी खेलने की शुरूआत की थी. पिता आर्मी में ठेकेदार थे. टेकचंद की रूचि को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें प्रोत्साहित किया. हाकी में अच्छा प्रदर्शन होने पर टेकचंद को जिला हाकी संघ (डीएचए) की टीम में शामिल कर किया गया. उन्होंने डिस्ट्रिक्ट हाकी एसोसिएशन की टीम में खेलते हुए भोपाल, दिल्ली सहित कई शहरों में टूर्नामेंट खेले और बेहतर प्रदर्शन कर जीत दिलाई. लेकिन 1960 में भारत ओलंमिक में हार का सामना करना पड़ा. इसी के चलते विश्व की श्रेष्ठ टीमों को भारत का दौरा कराया गया.

कर्ज पर कर्ज ले रही शिवराज सरकार: 11 दिन में तीसरी बार 3 हजार करोड़ का कर्ज लेगी मप्र सरकार, अब तक तीन लाख करोड़ से ज्यादा का ले चुकी है लोन

इस दौरान मेजर ध्यानचंद भी एमआरसी सागर आए. उन्होंने सागर और जबलपुर के हाकी के खिलाड़ियों को बुलाया कर प्रशिक्षण दिया. इन चंद खिलाड़ियों में टेकचंद यादव भी शामिल रहे. मेजर ध्यानचंद से टेकचंद में करीब तीन महीने तक सागर में ही हाकी के टिप्स लिए. इससे उनके खेल में और भी निखार आया.

ओलंपिक हारने के बाद न्यूजीलैंड और हालैंड की टीम भारत आई. जिसके बाद उनका मैच भोपाल-11 से कराया गया. इसी टीम में टेकचंद को शामिल किया गया. भोपाल-11 ने न्यूजीलैंड और हालैंड से प्रदर्शन मैच खेला गया, उनके बेहतरीन प्रदर्शन से विपक्षी टीम गोल करने में असमर्थ रही. इस कारण दोनों टीमों के बीच मैच ड्रा हो गया.

राहुल गांधी का ‘DNA’ विदेशी: गौरीशंकर बिसेन ने दिया विवादित बयान, बोले- दाढ़ी बढ़ाकर ढोंग कर रहे, ऐसे राष्ट्रद्रोही को देश के बाहर निकाल देना चाहिए

पत्नी और बेटी की हो चुकी है मौत

1962 में उनके पिता का निधन हो गया. जिसके बाद टेकचंद यादव ने हाकी खेलना बंद कर दिया. घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने प्राइवेट काम किया. इस बीच उनकी पत्नी का निधन हो गया. साथ ही बेटी भी चल बसी. जिसके बाद टेकचंद बिल्कुल अकेले पड़ गए. वर्तमान समय में टेकचंद एक किराए के मकान में अकेले रहते हैं. वृद्धावस्था पेंशन मिलती है. जिससे उनकी जरूरतों को पूरा करते है. सुबह और शाम को सीताराम रसोई सामाजिक संस्था से भोजन आता है.

वृद्ध टेकचंद के मुताबिक झोपड़ी कच्ची होने से उनके पास हाकी खेलने के दौरान मिले मैडल और पुरस्कार थे, जो नष्ट हो गए. आज कोई भी उनका सुध लेने वाला नहीं है. उनके चार भाई थे, लेकिन सभी नौकरी करने बाहर चले गए. वर्तमान में टेकचंद यादव एक कच्ची झोपड़ी में जिंदगी गुजार रहे हैं.

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus