अजय शर्मा,भोपाल। मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही को मध्यप्रदेश के स्कूली बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. प्रदेश के जिलों स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 20 हजार मिडिल और प्राइमरी के विद्यार्थी बिना किताब स्कूल जा रहे हैं. किताबें ना होने के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, जबकि स्कूल खुले हुए 3 माह का समय बीत चुका है.
ऑनलाइन सिस्टम बना मुसीबत
स्कूल शिक्षा विभाग की सूची में सभी विद्यार्थियों को किताबें दी जा चुकी हैं. दरअसल किताबों के वितरण में किसी तरह की गड़बड़ ना हो और स्कूल में पंजीकृत सभी छात्र छात्राओं को किताबें मिल सके. इसके लिए राज्य शिक्षा केन्द्र ने एनआईसी के सहयोग से ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम तैयार किया है. इस सिस्टम से पाठ्य पुस्तक निगम से प्रिंटिंग के बाद स्कूल स्तर पर बच्चों को किताबें वितरित होने तक पुस्तकों की ट्रैकिंग ऑनलाइन एप पर की जाती है.
टेक्निकल मिस्टेक बच्चों पर भारी
इस पूरे मामले को लेकर प्राचार्य का कहना है कि इस आदेश के बाद ऐसे बच्चों को किताबें नहीं मिल पा रहे हैं. जिनके नाम तो स्कूलों में पंजीकृत हैं, लेकिन टेक्निकल मिस्टेक की वजह से ट्रेस नहीं हो पा रहे हैं. वही स्कूल स्तर पर बच्चों की मैपिंग कर सूची समग्र पोर्टल में अपलोड कर दी गई है. अधिकारियों का कहना है कि जिन बच्चों के नाम की मैपिंग हो चुकी है. उन सभी को किताबें दे दी गई है. भोपाल में मिडिल और प्राइमरी स्कूलों की संख्या 1200 के करीब है. इन स्कूलों में 75 हजार से अधिक पढ़ रहे हैं. इनमें से करीब 20 हजार बच्चे ऐसे हैं. जिनका नाम स्कूल में पंजीकृत हैं, लेकिन ऑनलाइन मैपिंग सूची से गायब है.
अब हल निकलवा रहे
दूसरी और भोपाल जिले के जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना का तर्क है कि सभी स्कूलों को किताबें दी जा रही हैं. कहीं कोई तकनीकी पहलू है, तो उसे दिखाया जाएगा. पूरे मामले जल्द खत्म कर लिया जाए.
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