धर्मेंद्र यादव, सीहोर। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में सिस्टम की लापरवाही से एक किसान को उसके ही मेहनत के पैसों के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। पीड़ित किसान पिछले दो महीनों से दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन उसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है, ऐसे में अब उसकी परेशानी बढ़ गई है। मामला जिले के ग्राम खुलास का है। 

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मिली जानकारी के अनुसार किसान जीवन सिंह ग्राम खुलास के रहने वाले है। अपने बच्चों एवं परिवार का भरण-पोषण करने के लिए जीवन सिंह ने बड़े ही उम्मीद से अपने कृषि भूमि में गेहूं की फसल उगाई, खेतों में लहलहाती फसल को देखकर किसान और उसका परिवार काफी खुश था। इस बार फसल की पैदावार अच्छी देखकर किसान बड़ी उम्मीद लगाए था कि अब सारा कर्जा उतर जाएगा और साथ ही बच्चों और परिवार के सदस्यों की सारी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। अपनी फसल को बेचने के लिए किसान गेहूं उपार्जन केंद्र पहुंचा जहां उसने ने 50 क्विंटल गेहूं उपार्जन केंद्र में बेच भी दिया। 

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लेकिन किसान की उम्मीदों पर तब पानी फिर गया जब किसान को पता चला कि उसकी फसल के 72 हजार रुपए सीहोर निवासी मनोज राठौर के खाते में डाल दिए गए। किसान ने अपने पैसे वापस लेने के लिए कई आवेदन दिए, पिछले 2 महीने से किसान अपनी ही फसल के पैसे लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर लगा चुका है परंतु अभी तक किसान की कोई सुनवाई नहीं हुई है। इस संबंध में जब ढाबला सहकारी संस्था के प्रबंधक का कहना है कि इसमें हमारी कोई गलती नहीं है। किसान के आधार कार्ड से लिंक खाते में गेहूं की फसल का पैसा पहुंचता है, जो भी गड़बड़ी हुई है वह ऊपर से ही हुई है। 

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