अनील मालवीय, इछावर। साल 2022 तक हर गरीब का अपना पक्का मकान हो, इसे लेकर केंद्र और राज्य सराकर ने पीएम आवास और मुख्यमंत्री आवास योजना लागू की है, लेकिन इसका लाभ उन्हीं को मिल रहा है, जो हितग्राही राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच रखते है। कई पात्र हितग्राही अब भी अपना पक्का आवास बनने की राह देख रहे है। बार-बार दस्तावेज जमा कर प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर काटने पर मजबूर हो रहे है। अफसर कभी जनगणना की सूची में नाम न होने, कभी पात्रता न होने तो कभी प्रतिक्षा सूची में नाम आगे होने की बात कहकर लाभ देने से मना कर देते है।

इतना ही नहीं जो पात्र है और सूची में भी नाम होने के साथ ही योजना का लाभ लेने के लिए पात्र शासन के मापदण्डों को भी पूरा कर रहे है। बावजूद इसके ऐसे हितग्राहियों को आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सामूहिक और व्यक्तिगत ज्ञापन दें चुके हितग्राहियों को अधिकारी भी हर बार आश्वासन दे रहे है। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में अनेक गावों में प्रधानमंत्री आवास की महत्वाकांक्षी योजना को जिम्मेदार अधिकारी और इसके कर्मचारी पलीता लगा रहे है।

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ग्राम पंचायत बरखेड़ा के तहत आने वाले गांव देहखेड़ी निवासी दिव्यांग रामप्रसाद पिता देवीप्रसाद ने बताया कि वह वर्षों से कच्चे घर में रहता था। कुछ 10 वर्षों पहले बारिश के दौरान घर धराशाही हो गया। इसके बाद से ही वह पड़ोसी के घर में शरण लिए हुए है। कई बार सरपंच और पंचायत सचिव सहित अधिकारियों को पीएम आवास के संबंध में आवेदन दे चुका है, लेकिन इसके बाद भी आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

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जो पात्र नहीं उन्हें भी मिला लाभ

जो हितग्राही योजना का लाभ लेने के लिए पात्र नहीं है और सक्षम भी है, ऐसे परिवारों को पीएम आवास योजना का लाभ मिल गया है। इसका उदाहरण नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र के अनेकों गांवों में देखा जा सकता है। प्रभावशील और सक्षम लोगों ने जुगाड़ कर और संबंधित वार्ड सर्वेयर, सरपंच, सचिव को सेवा शुल्क देकर प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत करा लिये। लेकिन ऐसे गरीब पात्र दलित और आदिवासी सहित अन्य पिछड़ा वर्ग के आवासहीन लोग अब भी झोपड़ियों में और किराए के आवासों में रहने को मजबूर है।

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