अजयारविन्द नामदेव, शहडोल। मैकल पर्वत श्रृंखला से लगे शहडोल जिले के लखबरिया धाम में कावड़ियों की धूम है। अमरकंटक से नर्मदा जल कांवड़ में लाकर प्रसिद्ध लखवारिया के शिव मंदिर में चढ़ाने के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है। लखवारिया धाम की प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां प्रदेश ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग सावन के महीने में जल चढ़ाने आते हैं। यहां विराजमान शिवलिंग उज्जैन महाकाल में स्थित महादेव की ही तरह दिखाई देते हैं।

शहडोल जिला मुख्यालय से 45 किलो मीटर दूर स्थित बहु प्रसिद्धि लखवारिया अर्धनारीश्वर शिव मंदिर में हर सोमवार जल चढ़ाने के लिए तांता लगता है। इस भीड़ में सबसे खास बम भोले करते हुए वो कावंडिए होते हैं जो लगभग 80 किलोमीटर दूर नर्मदा उद्गम पवित्र नगरी अमरकंटक से नर्मदा जल लेकर आते हैं और दुर्लभ अर्धनारेश्वर शिवलिंग पर उसे अर्पण करते हैं। लगभग 3 दिन की यात्रा में सावन के महीने में हजारों भक्त पैदल ही अमरकंटक से जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।

आज लगेगी नागों की अदालत: नाचते झूमते पहुंचते हैं लोग, शरीर में आकर नाग बताता है काटने का कारण!

भगवान महाकाल की तरह है शिवलिंग

लखबरिया में स्थित शिवलिंग की ऊंचाई, लंबाई चौड़ाई भी बिल्कुल महाकाल की तरह दिखाई देती है। लखवारिया धाम के पुजारी के अनुसार यह शिवलिंग द्वापर युग की हैं। आश्चर्य की बात ये है कि यहां 3 और ऐसे ही प्राचीन शिवलिंग हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार इस मंदिर में विराजे भगवान शिव की प्रतिमा अद्भुत और अलौकिक है। यहां के शिवलिंग 6 भागों में विभाजित हैं।

शिवलिंग के 3 भाग

खास बात यह है कि शिवलिंग के 3 भाग दाहिने ओर ब्रम्हा विष्णु महेश का वास है। दूसरी बांई ओर माता पार्वती, काली और सरस्वती का वास है। वहीं शिवलिंग के सामने हिस्से में भगवान गणेश का वास है। इस मंदिर के बाहर विराजे नंदी बाबा के कान में भक्त अपनी समस्या सुनाकर मनोकामना करते है। ऐसा माना जाता है कि नंदी बाबा लोगों की मनोकामना मंदिर में विराजे अर्धनारीश्वर भगवान शिव पार्वती जी तक पहुंची है, जिससे लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

Sawan Somwar 2023: पवित्र नगरी अमरकंटक से जल लेकर कांवड़ियों का एक जत्था शहडोल के लिए रवाना, अद्भुत है यहां के शिव जी की महिमा

महाभारत के समय में कौरवों से द्यूत क्रीडा के दौरान पांडवों को हराने के बाद उन्हें 13 वर्षों का वनवास और एक वर्ष के अज्ञातवास पर भेजा था। पांडवों ने वनवास पूरा कर अज्ञातवास के लिए शहडोल जिले के सोहागपुर जनपद के लखवरिया गांव को चुना था। जनश्रुति और इतिहासकारों के मुताबिक अज्ञातवास के दौरान पांडवों का शहडोल जिले में विचरण रहा है। इस दौरान वे तब के घने जंगलों के बीच अरझुला पहाड़ में पहुंचे। वहां रहते हुए एक ऐसी गुफा बनाई जिसमें 1 लाख कक्ष थे। इसके बाद उसका नाम लखबरिया पड़ गया। यह क्षेत्र मैकल पर्वत श्रृंखला की तराई में स्थित है।

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus