अजयारविन्द नामदेव, शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल कमिश्नर (Shahdol Commissioner) आइसेक्ट द्वारा अति पिछड़ी जनजाति वर्ग के छात्रों से रूबरू हुए। कमिश्नर राजीव शर्मा ने कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रमाण पत्र वितरण के दौरान छात्रों को संबोधित भी किया। इस दौरान उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे जींस पहनना बंद करें। साथ ही धोती जैसे भारतीय परिधान पहनने की बात कही है।
शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा ने कहा कि छात्रों को धोती जैसे भारतीय परिधान पहनने चाहिए। उन्होंने कहा कि जींस हमारा कपड़ा नहीं है। जींस मूल रूप से भारतीय परिधान है ही नहीं और ना ही इसे भारतीय मौसम के अनुरूप पाया गया है। इतना ही नहीं जींस धोने में पानी का बहुत ज्यादा अपव्यय भी होता है और वह बहुत झंझट का काम भी है।
उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे भारतीय परंपरा के अनुसार परिधान धारण करें। कमिश्नर ने धोती का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत में अलग-अलग प्रकार के धोतियां प्रचलन में रही है जिसे स्त्री-पुरुष दोनों पहन सकते हैं। ये ना केवल भारतीय संस्कृति का परिचायक है, बल्कि इससे काफी सहूलियत और आराम भी रहता है।
राजीव शर्मा ने कहा कि मोबाइल तरक्की और बर्बादी दोनों का रास्ता है। मोबाइल का उपयोग सकारात्मक रूप से करें। आप की सबसे बड़ी ताकत ये है कि आप जमीन से जुड़े रहे हैं और गांव से निकल कर आए हैं। अपनी जड़ों को ना भूले गांव से जुड़े रहना है। कमिश्नर ने खान-पान को लेकर कहा कि हमारे लिए महुआ काजू से ज्यादा पौष्टिक है। खाने के नाम पर शादी और पार्टियों में कचरा खिलाया जा रहा है, लेकिन हमारी जो देहाती चीजें हैं वह शरीर के लिए पौष्टिक हैं।
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