अजयारविंद नामदेव, शहडोल। जिस गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले आदिवासियों के साथ चौपाल लगाकर देशी भोजन किया था, उसी गांव में आज भी लोग पानी के लिए एक-एक किलोमीटर दूर जाने को मजबूर हैं। शहडोल जिले के आदिवासी बाहुल्य ग्राम पकरिया बार टोला, बरटोला, जल्दी टोला और समदा टोला में नल-जल योजना का ढांचा तो खड़ा हो गया, लेकिन पानी सिर्फ कागजों में बह रहा है, हकीकत में नहीं…

आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले के ग्राम पंचायत पकरिया का बरटोला, बहुत खास इसलिए है क्योंकि साल 2022 में प्रधानमंत्री मोदी ने आदिवासियों के साथ देशी भोजन किया था, लालपुर से ‘सिकल सेल मिशन’ की शुरुआत की थी। गांव को VIP दर्जा मिला, टैंकर, टंकी, पाइपलाइन, सड़कें और बिजली के खंभे सब कुछ दुल्हन की तरह सजाया गया। दौरे से पहले नलों से पानी सप्लाई भी शुरू कर दी गई थी, लेकिन पीएम के लौटते ही तस्वीर बदल गई।

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अब हालात ऐसे हैं कि ग्राम बरटोला, जल्दी टोला में पानी की जगह नलों से सिर्फ हवा निकल रही है। सूखे पड़े कुएं और खाली टंकी के बीच ग्रामीण हर दिन प्यास बुझाने के लिए एक किलोमीटर दूर तक सफर कर रहे हैं। पानी ही नहीं, प्रधानमंत्री आवास योजना भी इस गांव में मजाक बनकर रह गई है। कई आदिवासी परिवार अब भी जर्जर कच्चे मकानों में बारिश झेलने को मजबूर हैं। तेज बारिश के बीच दीवारें गिरने और छत टपकने का खतरा बना रहता है, लेकिन सरकारी योजनाएं अब भी फाइलों में ही कैद हैं।

जब गांवों में पानी की किल्लत को लेकर हंगामा हुआ तो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बुढार उपखंड के सहायक यंत्री ने ठेकेदार को नोटिस जारी किया और 15 दिन में काम पूरा करने का निर्देश दिया। विभाग का दावा है कि नल-जल योजना का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, लेकिन ठेकेदार ने अब तक सप्लाई चालू नहीं की। विभाग ने अब इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए लापरवाही का सारा दोष ठेकेदार पर डाल दिया है।

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इस मामले में जब सहायक यंत्री व्ही.के. केशरवानी से जवाब मांगा गया तो वे आन कैमरे पर आने से साफ बचते नजर आए, उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया। शायद वजह साफ है कि मामला VIP है और जवाब देना असहज विभाग के अफसरों की चुप्पी ग्रामीणों की तकलीफों पर भारी पड़ रही है।

सहायक यंत्री व्ही. के. केशरवानी

प्रधानमंत्री के दौरे के बाद जिस गांव को VIP गांव बताया गया था, वहां आज भी बुनियादी सुविधाएं सपना बनी हुई हैं। सवाल ये है कि क्या विकास सिर्फ एक शोपीस बनकर रह गया है, या फिर असल में गांवों को बदलने का कोई इरादा भी है। पीएम का दौरा, सरकारी योजनाएं और विकास का दावा सब कुछ इस गांव ने देखा, लेकिन दो साल बाद भी पानी के लिए तरसते लोग हमें ये सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या VIP दौरे के बाद भी कोई सुध लेता है। देखना होगा कि अब प्रशासन क्या कदम उठाता है।

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